Angiography में हृदय की दो मुख्य धमनियों में कैल्शियम मिश्रित Blockage पाए गए। रोगी को बाइपास ऑपरेशन की सलाह दी गई, लेकिन रोगी और उसके परिजन सहमत नहीं हुए। डॉ. माथुर ने बीमारी को चैलेंज समझा और आखिर एंजियोप्लास्टी का निर्णय लिया। केस की नाजुकता को देखते हुए प्रिंसिपल डॉ. दिलीप कच्छवाहा और एमडीएमएच अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित की स्वीकृति से एंजियोप्लास्टी को आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना से फ्री किया गया।
इन चार तरीकों से दिया ऑपरेशन को अंजाम डॉ. माथुर ने बताया कि इस इलाज में स्टेंट लगाने से पहले स्कोरिंग बैलून (जिसमें कैल्शियम काटने के लिए बैलून पर तार लगे होते हैं)। ओपीएन एनसी बैलून (दो तह वाला बैलून जो काफी दबाव में भी फटता नहीं है)। रोटा एब्लेशन (कैल्शियम काटने के लिए हीरे से बने बर्र को 1,60,000 आरपीएम पर इस्तेमाल करना) और इंट्रावेस्क्यूलर लिथ्रोप्सी-आइवीएल (ध्वनि तरंगों से कैल्शियम काटना) जैसे तरीकों से कैल्शियम को नेस्तानाबूद किया गया। फिर मरीज को स्टेंट लगाए गए। ऑपरेशन व उपचार में सहयोग डॉ. पंकज, डॉ. विप्लव. डॉ विवेक. डॉ मनीष, कैथलेब स्टाफ महेन्द्र व्यास, योगेश, मनोज, शिमिला, सियोना, प्रीति, सरोज, शोभा, रणवीर, जितेन्द्र का सहयोग रहा।