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सलमान के वकील ने दलीलों को दिया विराम, अंतिम बहस में नहीं सुलझ रहा ये सवाल

locationजोधपुरPublished: Feb 02, 2018 02:42:15 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

बीस से अधिक पेशियों में अपना पक्ष रखने के बाद सलमान के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने आज अपनी दलीलों को विराम दिया।

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आरपी बोहरा/जोधपुर. करीब बीस साल बाद कांकाणी हिरण शिकार मामले में अब जल्द फैसले की उम्मीद बंधी है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोधपुर जिला के पीठासीन अधिकारी देवकुमार खत्री की अदालत में चल रहे इस बहुचर्चित प्रकरण में सलमान की ओर से जारी अंतिम बहस गुरूवार को समाप्त हो गई। 28 अक्टूबर 2017 से शुरू हुई अंतिम बहस में बीस से अधिक पेशियों में अपना पक्ष रखने के बाद सलमान के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने आज अपनी दलीलों को विराम दिया।
हाजिर हुए थे सलमान


अंतिम बहस के दौरान एक बार गत चार जनवरी को सलमान स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए और बहस को सुना। सारस्वत ने कोर्ट से निवेदन किया कि सलमान को फिल्म अभिनेता या सेलिब्रिटी नहीं, बल्कि साधारण आदमी मानकर फैसला लिया जाए। सारस्वत ने कहा कि इस मामले में ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं, जिससे यह ज़ाहिर होता है कि सलमान को झूठा फंसाने के लिए तत्कालीन जिला कलक्टर, पुलिस के आला अफसर तथा वन्यजीव विभाग के अधिकारियों ने मिलकर एक दूसरे का सहयोग किया। सारस्वत ने अभियोजन के तीन महत्वपूर्ण गवाह पूनमचंद, शेराराम तथा मांगीलाल के बयानों को विरोधाभासी करार देते हुए कहा कि इन बनाए हुए झूठे गवाहों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
उन्होंने मुख्य अनुसंधान अधिकारी ललित बोड़ा पर इस मामले में व्यक्तिगत रुचि लेने पर आपत्ति प्रकट की तथा बोड़ा तथा मांगीलाल सोनल पर फर्जी साक्ष्य तथा फर्जी गवाह बनाने पर बहस की। सलमान की ओर से अंतिम बहस समाप्त होने के बाद अब इस मामले के अन्य आरोपी सैफअली, नीलम तथा सोनाली की ओर से अधिवक्ता केके व्यास तथा तब्बू की ओर से अधिवक्ता मनीष सिसोदिया अंतिम बहस 14 फरवरी से शुरू करेंगे। अंतिम बहस के दौरान सरकार की ओर से लोक अभियोजन अधिकारी भवानीसिंह भाटी उपस्थित थे।
सलमान से कोई संदिग्ध बरामदगी नहीं हुई


सारस्वत ने बहस के दौरान कहा कि सलमान के पास से ऐसी कोई संदिग्ध वस्तु की बरामदगी नहीं हुई जिससे यह साबित हो कि शिकार सलमान ने किया था। उन्होंने कहा कि घटनास्थल से बंदूक से काले हिरण के शिकार करने की कोई वस्तु भी नहीं मिली थी। घटनास्थल पर जिप्सी के टायर के निशान नहीं मिलना, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हिरण की मृत्यु गनशॉट से होने के सबूत नहीं मिलना आदि से स्पष्ट है कि कथित शिकार की कहानी संदेहास्पद है। उन्होंने अनुसंधान अधिकारी बोड़ा तथा सोनल पर फर्जी कार्रवाई करने पर न्यायालय से दोनों पर कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह भी किया।
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