अंतिम बहस के दौरान एक बार गत चार जनवरी को सलमान स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए और बहस को सुना। सारस्वत ने कोर्ट से निवेदन किया कि सलमान को फिल्म अभिनेता या सेलिब्रिटी नहीं, बल्कि साधारण आदमी मानकर फैसला लिया जाए। सारस्वत ने कहा कि इस मामले में ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं, जिससे यह ज़ाहिर होता है कि सलमान को झूठा फंसाने के लिए तत्कालीन जिला कलक्टर, पुलिस के आला अफसर तथा वन्यजीव विभाग के अधिकारियों ने मिलकर एक दूसरे का सहयोग किया। सारस्वत ने अभियोजन के तीन महत्वपूर्ण गवाह पूनमचंद, शेराराम तथा मांगीलाल के बयानों को विरोधाभासी करार देते हुए कहा कि इन बनाए हुए झूठे गवाहों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
सारस्वत ने बहस के दौरान कहा कि सलमान के पास से ऐसी कोई संदिग्ध वस्तु की बरामदगी नहीं हुई जिससे यह साबित हो कि शिकार सलमान ने किया था। उन्होंने कहा कि घटनास्थल से बंदूक से काले हिरण के शिकार करने की कोई वस्तु भी नहीं मिली थी। घटनास्थल पर जिप्सी के टायर के निशान नहीं मिलना, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हिरण की मृत्यु गनशॉट से होने के सबूत नहीं मिलना आदि से स्पष्ट है कि कथित शिकार की कहानी संदेहास्पद है। उन्होंने अनुसंधान अधिकारी बोड़ा तथा सोनल पर फर्जी कार्रवाई करने पर न्यायालय से दोनों पर कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह भी किया।