ALSO READ: देशी घी के 11 ब्राण्ड फेल, क्या आपके ब्राण्ड ने पास किया है टेस्ट.. जानें इस रिपोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश कैलाशचन्द्र शर्मा की खण्डपीठ ने एनएलयू जोधपुर की छात्रा अम्बरीन इरशाद की याचिका नामंजूर करते हुए यह आदेश दिया। मामले के अनुसार एनएलयू जोधपुर की छात्रा अम्बरीन इरशाद को चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में असफल रहने पर पांचवें सेमेस्टर में प्रवेश दिया गया तथा चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में पुन: बैठने की अनुमति दी गई थी, लेकिन वह चौथे सेमेस्टर की दुबारा परीक्षा में भी असफल रही। इस पर विश्वविद्यालय द्वारा उसे पुन: चौथे सेमेस्टर में प्रवेश लेने के लिए कहा गया। छात्रा ने एनएलयू जोधपुर के इस नियम को यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि अन्य लॉ यूनिवर्सिटी में ऐसा नहीं है।
ALSO READ: मलेरिया-डेंगू के’डंक से 7 दिन में 133 बीमार विश्वविद्यालय अपने नियम बनाने के लिए स्वतंत्र हाईकोर्ट ने कहा कि देश की लॉ यूनिवर्सिटिज में भले ही एक कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट की परीक्षा के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है, लेकिन प्रत्येक यूनिवर्सिटी के अपने नियम हैं तथा एक यूनिवर्सिटी के नियम दूसरी यूनिवर्सिटी पर लागू नहीं होते। विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल में विद्वान प्रोफेसरों द्वारा छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश देने, उनकी परीक्षाएं आयोजित करने, परिणाम घोषित करने आदि प्रक्रिया सम्बन्धी निर्णय लिए जाकर नियम बनाए जाते हैं। वही नियम विश्वविद्यालय में लागू होते हैं। अत: छात्रा अम्बरीन इरशाद की याचिका निरस्त की जाती है।