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हाईकोर्ट ने कॉलेज विद्यार्थियों के लिए इस नियम को ठहराया उचित, लिया विश्वविद्यालयों का पक्ष

locationसवाई माधोपुरPublished: Sep 08, 2016 12:49:00 pm

हाईकोर्ट ने नामंजूर की एनएलयू छात्रा की याचिका

high court

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राजस्थान हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर के नियम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए व्यवस्था दी है कि किसी भी सेमेस्टर में दो बार फेल होने पर परीक्षार्थी को पुन: पिछले सेमेस्टर में ही प्रवेश लेना होगा। एनएलयू जोधपुर के पांच वर्षीय लॉ डिग्री के किसी सेमेस्टर की परीक्षा में असफल रहने पर विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षार्थी को दुबारा परीक्षा में बैठने का अवसर देते हुए अगले सेमेस्टर में प्रवेश दिया जा सकता है, लेकिन परीक्षा में दूसरी बार भी असफल रहने पर परीक्षार्थी को पुन: उसी सेमेस्टर में प्रवेश लेने के नियम को मानना होगा। 
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वरिष्ठ न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश कैलाशचन्द्र शर्मा की खण्डपीठ ने एनएलयू जोधपुर की छात्रा अम्बरीन इरशाद की याचिका नामंजूर करते हुए यह आदेश दिया। मामले के अनुसार एनएलयू जोधपुर की छात्रा अम्बरीन इरशाद को चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में असफल रहने पर पांचवें सेमेस्टर में प्रवेश दिया गया तथा चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में पुन: बैठने की अनुमति दी गई थी, लेकिन वह चौथे सेमेस्टर की दुबारा परीक्षा में भी असफल रही। इस पर विश्वविद्यालय द्वारा उसे पुन: चौथे सेमेस्टर में प्रवेश लेने के लिए कहा गया। छात्रा ने एनएलयू जोधपुर के इस नियम को यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि अन्य लॉ यूनिवर्सिटी में ऐसा नहीं है।
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विश्वविद्यालय अपने नियम बनाने के लिए स्वतंत्र

हाईकोर्ट ने कहा कि देश की लॉ यूनिवर्सिटिज में भले ही एक कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट की परीक्षा के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है, लेकिन प्रत्येक यूनिवर्सिटी के अपने नियम हैं तथा एक यूनिवर्सिटी के नियम दूसरी यूनिवर्सिटी पर लागू नहीं होते। विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल में विद्वान प्रोफेसरों द्वारा छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश देने, उनकी परीक्षाएं आयोजित करने, परिणाम घोषित करने आदि प्रक्रिया सम्बन्धी निर्णय लिए जाकर नियम बनाए जाते हैं। वही नियम विश्वविद्यालय में लागू होते हैं। अत: छात्रा अम्बरीन इरशाद की याचिका निरस्त की जाती है। 

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