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हाईटेक पॉली हाउस लेने की कतार में किसान, इस अभाव के चलते नहीं मिल रही स्वीकृति

locationजोधपुरPublished: Dec 09, 2017 03:19:00 pm

Submitted by:

Amit Dave

जिले में 50 से अधिक किसान 1 लाख 30 हजार वर्गमीटर से अधिक पॉली हाउस के लिए कतार में है।

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जोधपुर . किसान परम्परागत कृषि से निकलकर हाईटेक खेती की ओर बढऩे के प्रयास में लगे हुए है। इसके लिए सरकार भी पॉली व शेडनेट हाउस लगाकर तकनीक व परम्परा के तालमेल से किसानों को खेती करने व उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। जोधपुर जिले की बात करें तो यहां किसान हाइटेक पॉली हाउस लेने के लिए कतार में हैं, लेकिन कृषि विभाग के पास किसानों के आवेदनों को स्वीकृति देने के लिए लक्ष्य नहीं है।
जिले में ५० से अधिक किसान कतार में

कृषि विभाग की ओर से करोड़ों रुपए खर्च कर संभाग स्तरीय एग्रो टेक मेलों के आयोजन व विज्ञापनों से किसानों को हाईटेक फार्मिंग की ओर बढऩे व सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में 50 से अधिक किसान 1 लाख 30 हजार वर्गमीटर से अधिक पॉली हाउस के लिए कतार में है। इसके लिए विभाग के पास केवल 22 हजार वर्गमीटर का लक्ष्य है। वहीं शेडनेट हाउस योजना में केवल ३ किसानों ने १२ हजार वर्गमीटर के लिए आवेदन किया, लेकिन इन किसानों के आवेदनों को स्वीकृति देने के लिए विभाग के पास कोई लक्ष्य नहीं है। वर्तमान समय की जरूरतवर्तमान समय में बढ़ती हुई आबादी के खाद्यान्न की आपूर्ति करने व घटती हुई खेती योग्य भूमि के क्षेत्रफल को देखते हुए ग्रीन हाउस, पॉली हाउस लगाकर खेती करना बेहतर विकल्प है। यहां ऑफ सीजन व बिना मौसम की फसलों को छोटी जगह में बड़े भू-भाग की पैदावार ली जा सकती है।
योजनाओं से भरोसा खत्म हो रहा

नई तकनीक व हाईटेक खेती के केवल प्रचार से किसान भ्रमित होकर विभाग के चक्कर लगाते हैं। आवेदन के बावजूद योजना का लाभ नहीं मिलता, इससे सरकारी योजनाओं से किसानों का भरोसा खत्म हो रहा है।
– नरेश व्यास, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
यह पॉलिथीन से बना रक्षात्मक छायाप्रद घर है। इसमें लगे उपकरणों की मदद से इसके अंदर का ताप, आर्द्रता, प्रकाश आदि को नियंत्रित किया जाता है। विभाग इस योजना में किसानों को प्रोत्साहित करते हुए वास्तविक आवेदनों के अनुसार पूर्ति करे। साथ ही, किसानों को पॉली हाउस का तकनीकी ज्ञान दे, तभी ये योजनाएं सार्थक होंगी।
ललित देवड़ा, प्रगतिशील किसान

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