scriptअस्पताल अब चाह कर भी नहीं कह पाएंगे-बेड फुल हैं | Hospital will no longer to say even if it want - the beds are full | Patrika News
जोधपुर

अस्पताल अब चाह कर भी नहीं कह पाएंगे-बेड फुल हैं

– राज्य सरकार के लिए आइआइटी जोधपुर ने तैयार किया बेड ऑक्युपेंसी डिटेक्शन सिस्टम- मरीज के बेड के नीचे लगे होंगे सेंसर, बेड खाली होते ही ऑटोमेटिक रियल टाइम बेड की स्थिति होगी अपडेट- एमडीएम अस्पताल के न्यूरो सर्जरी वार्ड में 30 बेड पर चल रहा है ट्रायल

जोधपुरAug 02, 2021 / 08:52 pm

Gajendrasingh Dahiya

अस्पताल अब चाह कर भी नहीं कह पाएंगे-बेड फुल हैं

अस्पताल अब चाह कर भी नहीं कह पाएंगे-बेड फुल हैं

जोधपुर. अस्पताल अब चाह कर भी अपने बेड की स्थिति जनता और सरकार से छिपा नहीं पाएंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जोधपुर ने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से ऐसा सिस्टम विकसित किया है जो मरीजों के बेड की रियल टाइम स्थिति ऑनलाइन अपडेट करेगा। इसके लिए वार्ड में मरीजों के बेड के नीचे सेंसर लगाए जाएंगे जो वजन के अनुसार बेड खाली होते ही तुरंत अपडेट कर देंगे। इसमें अस्पताल प्रशासन की भूमिका नगण्य रहेगी। परीक्षण के तौर पर मथुरादास माथुर अस्पताल के न्यूरो सर्जरी वार्ड के 30 बेड पर ऐसे सेंसर लगाए गए हैं। आइआइटी जोधपुर में यह सिस्टम राज्य सरकार के अनुरोध पर तैयार किया है।
गौरतलब है कि कोविड-19 की दूसरी लहर में लोगों को अस्पताल में बेड के लिए काफी भटकना पड़ा था। राज्य सरकार चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई। कई अस्पताल बेड खाली होने के बावजूद बेड भरे होने का कहकर मरीजों को टरका रहे थे। अस्पतालों से निपटने के लिए राज्य के चिकित्सा विभाग ने आइआइटी जोधपुर को विशेष साफ्टवेयर तैयार करने के लिए कहा, जिससे अस्पतालों में बेड की स्थिति की जानकारी सरकार को मिलती रहे। आइआइटी जोधपुर ने बेड ऑक्युपेंसी डिटेक्शन सिस्टम तैयार किया है।
पलंग के नीचे लगा है सेंसर
एमडीएम अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के मेल और फीमेल दोनों वार्डो में मरीजों के पलंग के नीचे कुल 30 सेंसर लगाए गए हैं जिनको सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है। मरीजों के पलंग पर उठने बैठने सहित विभिन्न गतिविधियों को यह सेंसर रिकॉर्ड करते हैं और इसकी सूचना सॉफ्टवेयर को मिलती रहती है। अधिक समय तक बेड पर कोई नही होने पर यह सेंसर बेड खाली की स्थिति बता देता है। यह सिस्टम आइआइटी जोधपुर के डॉ सुमित कालरा, डॉ रवि भंडारी, डॉ सुचेतना चक्रवर्ती, डॉ राजेंद्र नगर और डॉ देवाशीष दास ने तैयार किया है।
यह होगा फायदा
– प्रदेश के सरकारी और निजी समस्त अस्पतालों की बेड की स्थिति रियल टाइम रहेगी।
– इमरजेंसी के समय वेबसाइट पर खाली बेड देखकर मरीज को संबंधित अस्पताल ले जा सकेगा। उसे भटकना नहीं पड़ेगा।
– हॉस्पिटल के पास इस चीज का रिकॉर्ड रहेगा कि किसी विशेष समय में उसके कितने बेड खाली रहते हैं और भरे रहते हैं। इसके अनुसार अस्पतालों में बेड की संख्या में वृद्धि की जा सकेगी।
…………………….
हमने बेड ऑक्युपेंसी डिटेक्शन सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एमडीएम अस्पताल में लगाया है और यह काफी सफल रहा है।
प्रो शांतनु चौधरी, निदेशक, आइआइटी जोधपुर

Home / Jodhpur / अस्पताल अब चाह कर भी नहीं कह पाएंगे-बेड फुल हैं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो