वर्ष 2015-16 में MSP में Garlic की खरीद के समय जोधपुर और मथानिया क्रय विक्रय सहकारी समिति ने लहसुन की फिजिकल खरीद नहीं करके उसका भुगतान संबंधित व्यापारियों को कर दिया था। उसके बाद समिति के पदाधिकारियों और व्यापारियों ने भुगतान की आपस में बंदरबांट कर ली। जोधपुर ने 22 करोड़ और मथानिया ने 5 करोड़ का लहसुन खरीदना बताया था लेकिन जब यह लहसुन राजफेड के वेयरहाउस में नहीं पहुंचा तब जाकर मामले का खुलासा हुआ। दोनों समितियों के अधिकारियों और कार्मिकों ने 27 करोड़ का लहसुन धूप के कारण सूखकर खराब होना बताया। जब राजफेड में वेयरहाउस तक उक्त परिवहन के सबूत मांगे गए तो दोनों समितियों की ओर से कई ट्रक के नंबर दिए गए। ट्रक के पंजीयन संख्या की जांच में कुछ नंबर फर्जी निकले। इसमें से कुछ नंबर तो स्कूटर, बाइक और लूना जैसे दुपहिया वाहनों के थे। मामला पकड़ में आने के बाद एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की थी। फिलहाल सहकारिता विभाग में विभागीय स्तर और एसीबी में मामले की जांच जारी है।