12 करोड होंगे मानसून तक खर्च फिलहाल एक दिन में करीब दो वाटर ट्रेन के फेरे होंगे। ऐसे में एक दिन का 8 लाख का खर्च होगा। इस माह यह खर्च कुल 1.2 करोड़ का होगा। इसके बाद अगले माह से वाटर ट्रेन के फेरे बढ़ जाएंगे। प्रतिदिन कम से कम चार फेरे होने पर 15 से 16 लाख रुपए खर्च होंगे और इस लिहाज से प्रति माह पांच करोड़ तक खर्च होंगे। प्री-मानसून तक भी यदि यह सप्लाई जारी रहती है तो कुल 10 से 12 करोड़ से अधिक पानी जोधपुर से पाली पानी पहुंचाने में ही खर्च हो जाएगी।
सबसे लम्बी अवधि होगी15 अप्रेल से शुरू होने वाली जलापूर्ति मानसून आगमन तक जारी कर सकती है। ऐसे में अनुमान है कि जून माह के अंत तक या जरूरत पड़ी तो जुलाई के 15 दिन भी पानी की सप्लाई की जा सकती है। ऐसे में करीब ढाई से तीन माह तक लगातार वाटर ट्रेन से पानी ले जाने की सबसे लम्बी अवधि होगी।
तीन साल पुरानी प्रक्रिया ही अपनाई जाएगी वाटर ट्रेन चलाने के लिए 2019 में जो प्रक्रिया अपनाई गई थी, इस बार भी कुछ वैसा ही होगा। कायलाना-तख्तसागर से ग्रेविटी के जरिये पानी न्यू पावर हाउस में बने पानी के हौद तक आएगा। यहां से पम्प कर भगत की कोठी के डीजल शेड मार्ग के समीप बने वाटर ट्रेन की रेक तक पहुंचाया जाएगा। यहां लगे हाइडेंट से वाटर ट्रेन भरी जाएगी।
मोटर व हौद की मरम्मत मोटर व हौद की मरम्मत को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता विनोद भारती ने बताया कि इसी सप्ताह ट्रेन का पहला फेरा होगा। जोधपुर और पाली दोनों जगह तैयारियां अंतिम रूप में पहुंच गई है।