सूर्यकिरण टीम का गठन १९९६ में किया गया था। उस समय प्रशिक्षण विमान किरण एमके-सैकेण्ड द्वारा टीम प्रदर्शन करती थी। किरण विमान से रंगीन धुएं निकलते थे। सफेद, केसरिया और हरे धुएं से तिरंगा बनाते हुए किरण विमान आसमान में एयरोबेटिक डिस्प्ले के साथ विभिन्न कलाकृतियां बनाते थे। वर्ष २०११ में वायुसेना को प्रशिक्षण के लिए विमानों की जरुरत पडऩे पर सूर्यकिरण टीम को डिसमेंटल कर दिया गया। ब्रिटेन से २००८ में हॉक विमानों की आपूर्ति के बाद वर्ष २०१५ में वायुसेना ने हॉक विमानों के साथ सूर्यकिरण टीम का गठन किया।
स्मॉग जनरेटर लगा रही एचएएल
ब्रिटेन की कम्पनी बीएई सिस्टम्स द्वारा लाइसेंस मिलने के बाद हिंदुस्तान एयरोनेटिक्स लिमिटेड देश में ही हॉक एमके-१३२ विमान बना रही है। ये विमान दो साल से एयरोबेटिक डिस्प्ले कर रहे हैं, लेकिन रंगीन धुआं नहीं आने से इसका आकर्षण थोड़ा कम हो गया है। एेसे में अब एचएएल विमानों में कम्पनी स्मॉग जनरेटर लगा रही है। किरण में लगने वाले जनरेटर से यह भिन्न है। जनरेटर से पहला ट्रायल सफेद धुएं के साथ किया गया। कई ट्रायल के बाद सफेद धुआं सही निकल रहा है। अब हरे और केसरिया धुएं के साथ स्मॉग जनरेटर का ट्रायल होगा। स्मॉग छोडऩे से सूर्यकिरण टीम के पायलट्स को भी फायदा होगा। पायलट्स विभिन्न मैनुवर के दौरान आसमान में एक दूसरे के जेट को आसानी से पहचान पाएंगे।
ब्रिटेन की कम्पनी बीएई सिस्टम्स द्वारा लाइसेंस मिलने के बाद हिंदुस्तान एयरोनेटिक्स लिमिटेड देश में ही हॉक एमके-१३२ विमान बना रही है। ये विमान दो साल से एयरोबेटिक डिस्प्ले कर रहे हैं, लेकिन रंगीन धुआं नहीं आने से इसका आकर्षण थोड़ा कम हो गया है। एेसे में अब एचएएल विमानों में कम्पनी स्मॉग जनरेटर लगा रही है। किरण में लगने वाले जनरेटर से यह भिन्न है। जनरेटर से पहला ट्रायल सफेद धुएं के साथ किया गया। कई ट्रायल के बाद सफेद धुआं सही निकल रहा है। अब हरे और केसरिया धुएं के साथ स्मॉग जनरेटर का ट्रायल होगा। स्मॉग छोडऩे से सूर्यकिरण टीम के पायलट्स को भी फायदा होगा। पायलट्स विभिन्न मैनुवर के दौरान आसमान में एक दूसरे के जेट को आसानी से पहचान पाएंगे।
४५० डिस्प्ले कर चुकी है सूर्यकिरण टीम सूर्यकिरण टीम किरण विमानों के साथ १९९६ से लेकर २०११ तक करीब ४७० से अधिक एयरोबेटिक डिस्प्ले कर चुकी है। इसमें देश के विभिन्न शहरों के साथ विदेशों में डिस्पले किया जा चुका है। हॉक विमानों के आने के बाद अब आंकड़ा ५१० के पार हो गया है। सूर्यकिरण टीम का मुख्यालय कर्नाटक स्थित बीदर वायुसेना स्टेशन है।