यह है मामला तत्कालीन डीएसओ मीणा ने मार्च 2016 में बीपीएल परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी होने के नाम पर तैंतीस हजार क्विंटल गेहूं अतिरिक्त मंगवाया था। गोलमाल करते हुए गेहूं कागजों में राशन डीलरों के नाम जारी कर दिया गया, जबकि हकीकत में आटा मिलों को बेच दिया गया था। इसके बाद वाले माह में पूर्व की भांति गेहूं आवंटित किया गया। यानि बीपीएल परिवारों की संख्या घटी हुई दर्शाई गई। परिवाद की जांच में घोटाले की पुष्टि होने पर गत वर्ष दो नवम्बर को एसीबी ने तत्कालीन डीएसओ निर्मला, आटा मिल संचालक स्वरूपसिंह राजपुरोहित, ठेकेदार सुरेश उपाध्याय व रसद विभाग के लिपिक अशोक पालीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।
एसपी लाम्बा ने की तीन घंटे पूछताछ निर्मला ने दोपहर एक बजे एसीबी के समक्ष समर्पण किया। दोपहर 1.35 बजे एसपी लाम्बा विशेष विंग कार्यालय पहुंचे गए और जांच अधिकारी मुकेश सोनी के साथ तीन घंटे तक निर्मला से पूछताछ की।