– सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के 7वें दिन हथियार डाले – अधिवक्ता की कार में चुन्नी से चेहरा ढंककर पहुंची एसीबी कार्यालय जोधपुर . आठ करोड़ रुपए का तैंतीस हजार क्विंटल गेहूं के गबन की मुख्य आरोपी निलम्बित आईएएस निर्मला मीणा ने आखिरकार बुधवार दोपहर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के समक्ष समर्पण कर दिया। अपने अधिवक्ता की कार में आई निर्मला ने चुन्नी से चेहरा ढंक रखा था। निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद से मीणा फरार थी। प्रारम्भिक पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में दो आरोपी अब भी फरार हैं। पुलिस अधीक्षक (एसीबी) अजयपाल लाम्बा ने बताया कि गबन के मामले में निलम्बित आईएएस व तत्कालीन जिला रसद अधिकारी निर्मला आरोपी है। वह दो माह से फरार थी। गत दस मई को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस बीच, उसने दोपहर एक बजे अधिवक्ता के साथ महेन्द्रनाथ अरोड़ा सर्किल के पास स्थित एसीबी की विशेष विंग में जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक मुकेश सोनी के समक्ष आत्मसमर्पण किया। प्रारम्भिक पूछताछ के बाद एसीबी ने मीणा को प्रकरण में गिरफ्तार किया गया। देर शाम उनकी पावटा सैटेलाइट अस्पताल में मेडिकल जांच कराई गई। रात को पुलिस लाइन के बाहर स्थित महिला थाना (पूर्व) में रखे जाने की संभावना है।
यह है मामला तत्कालीन डीएसओ मीणा ने मार्च 2016 में बीपीएल परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी होने के नाम पर तैंतीस हजार क्विंटल गेहूं अतिरिक्त मंगवाया था। गोलमाल करते हुए गेहूं कागजों में राशन डीलरों के नाम जारी कर दिया गया, जबकि हकीकत में आटा मिलों को बेच दिया गया था। इसके बाद वाले माह में पूर्व की भांति गेहूं आवंटित किया गया। यानि बीपीएल परिवारों की संख्या घटी हुई दर्शाई गई। परिवाद की जांच में घोटाले की पुष्टि होने पर गत वर्ष दो नवम्बर को एसीबी ने तत्कालीन डीएसओ निर्मला, आटा मिल संचालक स्वरूपसिंह राजपुरोहित, ठेकेदार सुरेश उपाध्याय व रसद विभाग के लिपिक अशोक पालीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।
एसपी लाम्बा ने की तीन घंटे पूछताछ निर्मला ने दोपहर एक बजे एसीबी के समक्ष समर्पण किया। दोपहर 1.35 बजे एसपी लाम्बा विशेष विंग कार्यालय पहुंचे गए और जांच अधिकारी मुकेश सोनी के साथ तीन घंटे तक निर्मला से पूछताछ की।