आईसीएचआर निदेशक ने किया पुस्तक प्रकाश का अवलोकन
1977 में पुरातात्विक सामग्री को उम्मेद भवन से किया गया था स्थानांतरित

जोधपुर. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) नई दिल्ली के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने शुक्रवार को मेहरानगढ़ स्थित महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र का अवलोकन किया और वहां संग्रहित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों, बहियों की उत्कृष्ट सार-संभाल, संरक्षण एवं संवद्र्धन को देखा। उन्होंने ट्रस्ट के प्रबन्ध न्यासी गजसिंह के निर्देशन में संस्थान की ओर से किए जा रहे डिजिटलाइजेशन के कार्य की प्रशंसा की। शोध केन्द्र के सहायक निदेशक डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर ने डिजिटलाइजेशन लेब के बारे में विस्तृत जानकारी और मारवाड़ के प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों एवं बहियों के संरक्षण के बारे में बताया गया। पुस्तक प्रकाश की ओर से इतिहास, साहित्य, कला व संस्कृति से सम्बन्धित प्रकाशित पुस्तकों का सेट भेंट किया गया।
पुस्तक - प्रकाश पुस्तकालय में पांच हजार से भी अधिक संख्या में प्राचीन पाण्डुलिपियाँ , विभिन्न विषयों पर संस्कृत में लिखित प्रायः तीन हजार ग्रंथ , एवं हिन्दी और राजस्थानी भाषा में दो हजार पुस्तकें उपलब्ध हैं । उनमें प्राय : तीन सौ पांडुलिपियाँ उर्दू , फारसी , अंग्रेजी और तमिल जैसी अन्य भाषाओं में भी लिखी हुई विद्यमान हैं जिन्हें पाण्डुलिपि पुस्तकालय कक्ष ' में सुरक्षित रखा गया है । उसी पुस्तकालय में ताड़पत्रों पर लिखित तेरह पाण्डुलिपियाँ हमारे संग्रह - कक्ष की मूल्यवान निधि कही जा सकती हैं ।
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