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जोधपुर

विभाजन की त्रासदी के बीच मानवीय संवेदनाओं को उकेरा ‘जिस लाहौर नइ देख्या… ने

 
– 29 वां ओमशिवपुरी नाट्य समारोह शुरू, आज नाटक ‘त्रियात्रा का मंचन

जोधपुरOct 17, 2021 / 11:08 am

Nandkishor Sharma

विभाजन की त्रासदी के बीच मानवीय संवेदनाओं को उकेरा 'जिस लाहौर नइ देख्या... ने

विभाजन की त्रासदी के बीच मानवीय संवेदनाओं को उकेरा ‘जिस लाहौर नइ देख्या… ने

जोधपुर. भारत पाक विभाजन की त्रासदी के बीच मानवीय संवेदनाओं को दर्शाता असगर वजाहत लिखित प्रसिद्ध नाटक ‘जिस लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइÓ के अभिभूत करने वाले मंचन के साथ 29 वां ओमशिवपुरी नाट्य समारोह शनिवार से टाउन हॉल में शुरू हो गया। अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा ने ओमशिवपुरी की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उदघाटन किया।
नाट्य प्रभारी अरुण पुरोहित ने बताया कि रविवार को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की मेजबानी में आयोजित पांच दिवसीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन रविवार को जयपुर के गगन मिश्रा निर्देशित नाटक ‘त्रियात्राÓ मंचित होगा ।
प्रभावी अभिनय ने छोड़ी छाप

अशोक जोशी निर्देशित ऊर्जा थिएटर बीकानेर की प्रस्तुति ‘जिस लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइÓ में अविनाश जोशी, पूजा, भारती,यशराज,पलक गहलोत, मोहित मारु, रवि शर्मा,अविनाश बिस्सा, मोहित गज्जाणी, पृथ्वी सिंह, वरुण, आकाश जोशी ने प्रभावी अभिनय किया। नाटक के कथानक के अनुसार देश विभाजन की रेखाओं व पीड़ा के बीच एक परिवार लखनऊ से लाहौर जाता है। शरणार्थी शिविर में रहने के बाद उसे वहां भारत गए व्यक्ति का एक बड़ा मकान आवंटित होता है । लेकिन जब वो घर मे पहुंचता हैं तो देखता हैं कि एक बूढ़ी उस मकान में रह गई है। बूढ़ी औरत भी चाहती है कि ये लोग चले जाएं और उसके पुश्तैनी मकान पर काबिज न हो।
नाटक एक संघर्ष की स्थिति से शुरू होता है, लेकिन बूढ़ी औरत स्वभाव से बड़ी मददगार होने से धीरे-धीरे दोनों के बीच संवेदना का एक रिश्ता बनने लगता है। शहर के कट्टरवादियों से वही परिवार उस बुढिय़ा को बचाता है। बाद में बुढिय़ा की जब मृत्यु होती है तो सवाल उठता है कि उसका अंतिम संस्कार कैसे किया जाए। स्थानीय मौलवी की राय पर उसका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से करने पर प्रतिक्रिया में शहर के कट्टरवादी उस मौलवी की हत्या कर देते हैं।
कलाकारों के लिए संजीवनी

टाउन हॉल में एक पखवाड़े के भीतर दूसरी बार नाट्य समारोह का होना जोधपुर के कलाकारों के लिए एक तरह से संजीवनी की तरह है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक कलाकार अरु व्यास ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि कोविड के लंबे अर्से बाद दर्शकों का रूझान टाउन हॉल की तरफ बढ़ रहा है। लंबे अर्से से नाट्य समारोह की जरूरत महसूस की जा रही थी। ओमशिवपुरी नाट्य समारोह जैसे आयोजन स्थानीय कलाकारों के लिए ऑक्सीजन की तरह है।
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