दुनिया एक जंतुआलय जैसी नाटक में दिखाया गया कि यह दुनिया एक जंतुआलय जैसी हो गई है और इस जू में लोगों को जुदा-जुदा खानों में बांट दिया गया है। यहां पशु को पशु से और इन्सान को इन्सान से अलग-अलग कर दिया गया है। कहीं वर्ग भेद है, कहीं रंग भेद है, कहीं उच्च वर्ग है तो कहीं मध्यम वर्ग तो कहीं निम्न वर्ग। कुल मिला कर केवल इन्सान कहीं नजर नहीं आता। इन्सान की संवेदना खत्म हो गई है और वह एक दूसरे से दूर हो गया है।
सामाजिक ढांचा दर्शाया गया इसी संदेश के साथ रंग संस्कार थिएटर ग्रुप की मेजबानी में अलवर के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में आयोजित रंगबाज थिएटर फेस्टिवल ( Rangbaz Theater Festival ) के दौरान क्रिएटिव आर्ट सोसाइटी जोधपुर ( Creative Art Society jodhpur ) की ओर से द जू स्टोरी
( The Zoo Story ) नाटक का मंचन किया गया। अमरीकी लेखक एडवर्ड एल्वी लिखित, हितेंद्र गोयल अनूदित व रमेश भाटी निर्देशित इस नाटक में तात्कालिक अमरीका में चरमराता सामाजिक ढांचा दर्शाया गया। इन्सान के भेस में छुपा भेडि़या
जिसमें वर्ग भेद, अस्तित्ववाद, संवादहीनता, अमानुषिक प्रवृत्ति और इन्सान के भेस में छुपा भेडि़या दिखाया गया। इसमें पीटर के रूप में डॉ.हितेंद्र गोयल और जैरी की भूमिका में मजाहिर सुल्तान जई ने अदाकारी की। मंच व्यवस्था शब्बीर हुसैन की थी। कमलेश तिवारी ने सहयोग किया। जनसंपर्क की जिम्मेदारी प्रमोद वैष्णव ने निभाई। मंच सज्जा चंद्रसिंह भाटी और संगीत संयोजन एस पी रंगा का था।