— मुख्यालय से दूरी के कारण नहीं मिल पाता योजनाओं का लाभ जिले के बापिणी, लोहावट, फ लोदी, देचू व बाप क्षेत्र ने गत वर्षों में डबल क्रॉप क्षेत्र के रूप में पहचान बनाई है लेकिन जिला मुख्यालय से दूरी के कारण किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ नही मिल पाता। वहीं फ सलों की भी सही जानकारी नहीं मिलने से उत्पादन लागत बढ़ रही है।
— जिले में कृषि क्षेत्र एक नजर में – 14 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ सीजन में होती है बुवाई। – खरीफ सीजन की फसलें- बाजरा, मूंग, मोठ, कपास, अरण्डी, तिल, मूंगफली, ग्वार, अन्य।
– 5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में रबी सीजन में होती है बुवाई। – रबी सीजन की फसलें- जीरा, सरसों, गेंहू, चना, इसबगोल, मैथी, धनिया, प्याज, लहसुन, सब्जियां। —— जिले के 250 किमी में फैले 14 हैक्टेयर के विस्तृत कृषि क्षेत्र में एक अतिरिक्त सहायक निदेशक कार्यालय की जरुरत है। कृषि आयुक्त से मिलकर इस संबंध में मांग की है। वहीं जिले में टिड्डी के नियंत्रण को प्रभावी बनाने के लिए स्वीकृत पदों को भरने की भी मांग की है।
तुलछाराम सिंवर ,आंदोलन व प्रचार प्रमुख भारतीय किसान संघ, जोधपुर प्रांत