एनडीफ रिपोर्ट के अनुसार भारत में शीशम विलुप्त होती प्रजाति नहीं है व इस लकड़ी की कई जगह किसानों द्वारा खेती की जाती है । जोधपुर के उद्योगों में रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले हैण्डीक्राफ्ट उद्योग में शीशम की लकड़ी से बने कलात्मक फर्नीचर की पूरे विश्व में डिमांड है। देश से शीशम की लकड़ी के उत्पादों का करीब २ हजार करोड़ रुपयों का निर्यात होता है। इसमें सबसे ज्यादा निर्यात जोधपुर से होता है, जो करीब 1200 करोड़ का है, साइटस की रोक के बाद निर्यात घटकर करीब 400 करोड़ रुपए हो गया है। साइटस ने शीशम को लकड़ी की विलुप्त होती प्रजाति मानते हुए 2 जनवरी 2017 से शीशम की लकड़ी के व्यवसायिक गतिविधियों व निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
— साइटस की मीटिंग पर जोधपुर से शीशम उत्पादों के निर्यात पर उम्मीदें टिकी है। नीति आयोग पूरे मामले पर नजर रख रहा है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत इस मामले में निर्यातकों की मदद कर रहे है ।
डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्षजोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ——————-