जोधपुर

पांच सालों में जीरे का निर्यात 300 से 2900 करोड़ पहुंचा, नई किस्म के विकास का वैज्ञानिकों ने किया आह्वान

संगोष्ठी के प्रशिक्षण समन्वयक डॉं. मोतीलाल मेहरिया ने बताया कि विवि की स्थापना के बाद से अब तक 160 लाख रुपए मसाला फ सलों के उन्नत बीज उत्पादन, आधारभूत संरचना, प्रथम पंक्ति प्रदर्शन व तकनीकी स्थानान्तरण के लिए आवंटित किए गए।

जोधपुरFeb 20, 2020 / 03:18 pm

Harshwardhan bhati

पांच सालों में जीरे का निर्यात 300 से 2900 करोड़ पहुंचा, नई किस्म के विकास का वैज्ञानिकों ने किया आह्वान

अमित दवे/जोधपुर. कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एलएन हर्ष ने कहा कि प्रमुख मसाला फसल जीरे का निर्यात पांच वर्षों में 300 करोड़ से 2888 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। यह गर्व की बात है। कृषि विवि व सुपारी और मसाला विकास निदेशालय कालीकट के संयुक्त तत्ववाधान में पश्चिमी राजस्थान में बीजीय मसालों की नवीन उत्पादन तकनीकें विषय पर दो दिवसीय जिला स्तरीय संगोष्ठी शुरू हुई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृषि विवि कुलपति डॉ. बीआर चौधरी ने वैज्ञानिकों से जीरा की फ सल में नई किस्म विकसित करने का आह्वान किया, जिससे किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाया जा सके। विशिष्ट अतिथि डिस्कॉम के मुख्य अभियंता गोपाराम सीरवी ने भी योजनाओं की जानकारी दी। विवि अधिष्ठाता डॉ. बीएस भीमावत ने मसाला फ सलों की पश्चिमी राजस्थान में अपार संभावनाओं के बारे में किसानों को जानकारी दी। विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉं. एमएम सुन्दरिया ने मसाला फ सलों में लगने वाले कीटों के प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। अतिथियों ने बीजीय मसाला फसलों से संबंधित पुस्तिकाओं व पत्रक का विमोचन भी किया।
अब तक 160 लाख रुपए आवंटित
संगोष्ठी के प्रशिक्षण समन्वयक डॉं. मोतीलाल मेहरिया ने बताया कि विवि की स्थापना के बाद से अब तक 160 लाख रुपए मसाला फ सलों के उन्नत बीज उत्पादन, आधारभूत संरचना, प्रथम पंक्ति प्रदर्शन व तकनीकी स्थानान्तरण के लिए आवंटित किए गए। संगोष्ठी में जोधपुर व नागौर कृषि विभाग के अधिकारी, विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के तकनीकी कर्मचारी व प्रगतिशील किसान भाग ले रहे हैं।

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