कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृषि विवि कुलपति डॉ. बीआर चौधरी ने वैज्ञानिकों से जीरा की फ सल में नई किस्म विकसित करने का आह्वान किया, जिससे किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाया जा सके। विशिष्ट अतिथि डिस्कॉम के मुख्य अभियंता गोपाराम सीरवी ने भी योजनाओं की जानकारी दी। विवि अधिष्ठाता डॉ. बीएस भीमावत ने मसाला फ सलों की पश्चिमी राजस्थान में अपार संभावनाओं के बारे में किसानों को जानकारी दी। विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉं. एमएम सुन्दरिया ने मसाला फ सलों में लगने वाले कीटों के प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। अतिथियों ने बीजीय मसाला फसलों से संबंधित पुस्तिकाओं व पत्रक का विमोचन भी किया।
अब तक 160 लाख रुपए आवंटित
संगोष्ठी के प्रशिक्षण समन्वयक डॉं. मोतीलाल मेहरिया ने बताया कि विवि की स्थापना के बाद से अब तक 160 लाख रुपए मसाला फ सलों के उन्नत बीज उत्पादन, आधारभूत संरचना, प्रथम पंक्ति प्रदर्शन व तकनीकी स्थानान्तरण के लिए आवंटित किए गए। संगोष्ठी में जोधपुर व नागौर कृषि विभाग के अधिकारी, विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के तकनीकी कर्मचारी व प्रगतिशील किसान भाग ले रहे हैं।
संगोष्ठी के प्रशिक्षण समन्वयक डॉं. मोतीलाल मेहरिया ने बताया कि विवि की स्थापना के बाद से अब तक 160 लाख रुपए मसाला फ सलों के उन्नत बीज उत्पादन, आधारभूत संरचना, प्रथम पंक्ति प्रदर्शन व तकनीकी स्थानान्तरण के लिए आवंटित किए गए। संगोष्ठी में जोधपुर व नागौर कृषि विभाग के अधिकारी, विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के तकनीकी कर्मचारी व प्रगतिशील किसान भाग ले रहे हैं।