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Border: पहले बारातें आ जाती थी, अब परिंदा भी पर नहीं मार सकता

locationजोधपुरPublished: Feb 19, 2020 07:25:09 pm

– 70 साल में सूरत ही बदल गई राजस्थान से सटी भारत-पाक सीमा की

Border: पहले बारातें आ जाती थी, अब परिंदा भी पर नहीं मार सकता

Border: पहले बारातें आ जाती थी, अब परिंदा भी पर नहीं मार सकता

जोधपुर. आजादी के ठीक पहले अस्तित्व में आई भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पिछले 70 सालों में पूरी तरह बदल गई है। पहले जहां सीमावर्ती गांवों से बारातें तक आसानी से आ-जा सकती थी, वहीं अब सीमा की चौकसी इतनी चाकचौबंद है कि परिंदा तक पर नहीं मार सकता। ऐसे में घुसपैठ और तस्करी जैसे सीमा अपराध भी या तो सीमित हो गए हैं या तस्करी का तरीका भी बदल गया है।
राजस्थान से 1070 किलोमीटर लम्बी अन्तरराष्ट्रीय सीमा सटी है। सीमा के दोनों ओर बसे गांवों के लोगों की आज भी आपस में रिश्तेदारियां हैं। ऐसे में 80-90 के दशक तो सीमा खुली ही थी। सीमा चौकियां भी काफी दूर थी। वांछित संख्या में निगरानी टॉवर तक नहीं थे। ऐसे में बारातें तक आ जाती थी। तस्करों के लिए भी ओपन बॉर्डर वरदान था। रेत के धोरों को चीरकर कभी मोटर साइकिलों तो कभी ऊंटों पर सोने-चांदी की तस्करी हो जाती थी। आज भी कई तस्करों के नाम बीएसएफ और सीमा के थानों में कुख्यात के रूप में दर्ज हैं।

पाक में चोर-डकैत थे इसलिए लगाई पुलिस
बंटवारे के बाद सीमा रेखा तो खिंच गई, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। मवेशी भी चरते-चरते सीमा पार कर जाते और चरवाहे हांककर वापस ले जाते। पाकिस्तान में चोर-डकैत अधिक थे इसलिए बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर में लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस और आरएसी लगाई गई। वर्ष 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का गठन हुआ। शुरुआत में बीएसएफ का प्रमुख कार्य भी स्थानीय लोगों की जान-माल की हिफाजत करना था। यही कारण है कि बीएसएफ की अधिकांश सीमा चौकियां बीच गांवों में मसलन तनोट, किशनगढ़, घोटारू, लोंगेवाला में है, जहां से बॉर्डर काफी दूर पड़ता था।
1971 की लड़ाई के बाद बदले हालात

सीमा के हालात खासतौर पर 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद बदलने शुरू हुए। ओपन बॉर्डर की वजह से ही पाकिस्तान ने इस लड़ाई में लोंगोवाला के रास्ते घुसपैठ कर रामगढ़ में नाश्ता, जोधपुर में लंच और दिल्ली में डिनर का दुस्साहसी सपना संजोया था। बाद में इसी कहानी पर बॉर्डर फिल्म भी बनी। पाक को करारी हार मिली और लोंगोवाला में उसके टैंकों का कब्रिस्तान बन गया। इसके बाद सीमा पर न सिर्फ बीएसएफ की नफरी बढ़ी, बल्कि सीमा चौकियों की संख्या और दायरा बढ़ाया गया। फिर सीमा अपराध भी पकड़ में आने लगे। पंजाब में आतंकवाद के दौर में राजस्थान से सटी सीमा से भी घुसपैठ और हथियार तस्करी की कोशिशें पकड़ी गई। इस दौरान केंद्र सरकार ने पंजाब से सटी सीमा पर बाड़बंदी शुरू करवाई और आज राजस्थान समेत समूचे भारत-पाक बॉर्डर पर तारबंदी के चलते परिंदा भी पर नहीं मार सकता।
पाकिस्तान से तस्करी के जरिए आता था सोना
राजस्थान से सटी सीमा पर पहले सोने की तस्करी बहुतायत में होती थी। यह सोना खाड़ी से पाकिस्तान के रास्ते यहां पहुंचता था। अफीम, हेरोईन और ऐसेटिक एनहाईड्रेड जैसे मादक पदार्थों की तस्करी भी शुरू हो गई। बाड़बंदी और फ्लड लाइट्स लगने के बाद इस पर लगभग अंकुश लग चुका है। हाल ही बॉर्डर पर इन्फ्रारेड डिवाइस और 360 डिग्री कोण के विशेष सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ऊंटों के अलावा जिप्सी, बोलेरो, सेंड स्कूटर से भी गश्त होती है। ऐसे में पहले जहां एक महीने में दो तीन तस्कर पकड़े जाते थे वहीं अब साल में भी बमुश्किल से दो तीन मामले बनते हैं।
अब तो ड्रोन का आना भी संभव नहीं

बॉर्डर पर तीन-चार महीने पहले ही एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी लगाई गई है जो ड्रोन की फ्रीक्वेंसी को पकडकऱ उसे जाम करके नीचे गिरा देती है। धीरे-धीरे पूरा बॉर्डर पर सुरक्षा की अभेद्य दिवार में बदलता जा रहा है।

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