प्रदेश में ग्रामीण मनरेगा की तर्ज पर शरू की जा रही शहरी रोजगार गारंटी योजना में अनुबंधित किए जा रहे कार्मिकों के मानदेय में बड़ा अंतर सामने आया है। शहरी रोजगार गारंटी योजना में लगाए जा रहे कार्मिकों को पुरानों से दो गुना अधिक मानदेय प्रस्तावित है। जबकि दोनों योजनाओं में कर्मचारियों के पद, योग्यता और कार्य की प्रकृति एक जैसी है। दोनों में ही भर्ती संविदा पर है।
भर्ती में लेखा सहायक, कनिष्ठ तकनीकी सहायक, एमआइएस मैनेजर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, शहरी रोजगार सहायक, कंम्प्यूटर ऑपरेटर विद मशीन, सहायक कार्यक्रम अधिकारी और सहायक कर्मचारी शामिल हैं।पंचायत राज में पुराने कार्मिकों में से कुछ तो 16 साल से काम कर रहे हैं, इसके बावजूद इनके मानदेय में नाममात्र बढ़ोतरी हुई है जबकि शहरी नरेगा में नव नियुक्त कार्मिकों का मानदेय इनसे दोगुना तय किया गया है।
आंदोलन की राह पर संविदा कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी को लेकर पिछले 35 दिनों से नरेगा संविदा कार्मिक धरना दे रहे हैं। मनरेगा कार्मिक संघर्ष समिति के नेता सुधाकर जैन का कहना है कि प्रदेश में नरेगा की शुरूआत 2006 में हो गई थी। बाद में 2 अक्टूबर, 2009 में इसको मनरेगा में परिवर्तित कर दिया।
प्रदेश में आठ हजार से अधिक संविदा कर्मचारी वर्ष 2006 से 2008 के बीच लगे हुए हैं। ये 7 हजार से लेकर 15 हजार के बीच मानदेय में काम कर रहे हैं। बीच में 5 से 10 फीसदी बढ़ोतरी की गई जो बढ़ती महंगाई के कारण गौण नजर आ रही हैं, लेकिन शहरी योजना में नए कार्मिकों को अभी से दो गुना मानदेय प्रस्तावित है।
योजना के संचालन की व्यवस्था इंदिरा गांधी रोजगार गारंटी योजना शहरी क्षेत्र में लागू की हैं, जिसका संचालन स्थानीय निकाय निदेशालय करेगा और नोडल एजेंसी नगरपालिका होगी। जबकि नरेगा केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2006 में शुरू की गई, इसका संचालन पंचायत राज व ग्रामीण विकास विभाग और नोडल एजेंसी पंचायत समिति है। ऐसे में कई कार्मिक शहरी योजना में जाने का प्रयास करने लगे हैं, इससे भविष्य में ग्रामीण योजना के लिए कार्मिकों की कमी आ सकती है।
शहरी रोजगार गारंटी में मानदेय सहायक कार्यक्रम अधिकारी-40,000 रोजगार सहायक-15000 कनिष्ठ तकनीकी सहायक-30,000 लेखा सहायक-25000 कम्प्यूटर ऑपरेटर -10,000 एमआईएस मैनेजर-25000 प्रोग्रामर-40000 ग्रामीण रोजगार गारंटी में मानदेय
सहायक कार्यक्रम अधिकारी-22,000 रोजगार सहायक-7300 कनिष्ठ तकनीकी साहयक-11,000 लेखा सहायक-8000 कम्प्यूटर ऑपरेटर विद मशीन-7400 एमआईएस मैनेजर-10,000 प्रोग्रामर-14000. इनका कहना है एक ही रोजगार गारंटी योजना होने के बावजूद शहरी-ग्रामीण कार्मिकों के मानदेय में भारी असमानता से पंचायतराज कार्मिकों में गहरा आक्रोश हैं,मानदेय में असमानता को तत्काल दूर किया जाना चाहिए।
-रामस्वरूप टाक, जिलाध्यक्ष, मनरेगा लेखा सहायक संघ,जोधपुर