वे सोमवार को कलपतरू सिनेमा हॉल में विधिवेता मरूधर मृदुल की स्मृति में मृदुल लिगेसी व बखतसागर नेहरू पार्क नागरिक मंडल के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि समझदार सरकार वही है जो विषमताओं को कम करने की कोशिशों को प्राथमिकता दे। ये देश सांप्रदायिक न बनें और हमें तोडऩे के लिए अनेक षडय़ंत्र है तो जोडऩे के लिए संविधान है। उन्होंने जनहित याचिकाओं का जिक्र कर मरूधर मृदुल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमारी बहुत मदद की। सूचना के अधिकार की बात करते हुए कहा कि सभी सरकारी योजनाओं में सोशल ऑडिट होना चाहिए। हमारे संविधान प्रदत कानूनों ने सिखाया है कि स्वर्ग मिले ना मिले उस रास्ते पर चलते जाओ जो स्वर्ग की ओर ले जाता है। राजस्थान की धरती पर आकर मैं मरूधर मृदुल से बहुत कुछ सीखी हूं। यहां की एक खूबी है कि हम अभी भी एक दूसरे की बात सुन रहे हैं। राजस्थान सूचना के अधिकार के लिए जाना जाता है। हम मरूधर मृदुल के नाम से एक दूसरे से वादा करते हैं कि इस पहचान को धुमिल नहीं होने देंगे।
मृदुल के संघर्ष को किया याद इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि 1985 में न्यूनतम मजदूरी का अधिकार आंदोलन की शुरूआत हुई। जब मनरेगा आया तो मस्टररोल दिखाओ आंदोलन शुरू हुआ। इसमें सूचना का अधिकार आधार बना। इस आंदोलन की न्यायिक लड़ाई में मरूधर मृदुल का सहयोग मिला। कार्यकर्ता शंकर ने इस अवसर पर एक जनगीत भी सुनाया। इस मौके पर किशन लाल गर्ग ने मरूधर मृदुल के जीवन से जुड़े प्रसंग सुनाए। जस्टिस गोपाल
कृष्ण व्यास ने मरूधर मृदुल के शोषितों के लिए किए जाने वाले संघर्ष को याद किया। इससे पहले मरूधर मृदुल के नाम पर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज सर्किल से रामदेव
मंदिर पाल रोड तक मार्ग का नामकरण व पट्टिका का अनावरण किया गया। डॉ. सुधि राजीव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। इस मौके पर राजस्थान हाइकोर्ट के जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी, जस्टिस मनोज गर्ग सहित न्यायिक अधिकारी, साहित्यकार और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। निर्मला जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।