मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट ने हाल ही अलवर, उदयपुर, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़, गंगापुर (जिला भीलवाड़ा) तथा राजसमंद में जिला न्यायालय परिसरों का औचक निरीक्षण किया था। भट्ट ने आदेश में कहा, जिला न्यायालय परिसर भरतपुर और जिला न्यायालय परिसर अजमेर में आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। इनमें से कुछ स्थानों (अलवर, चित्तौडगढ़़, अजमेर) में नए कोर्ट भवन निर्माणाधीन हैं, लेकिन मौजूदा बुनियादी ढांचे को पर्याप्त बनाने की बहुत आवश्यकता है। कुछ जगहों को छोडकऱ सार्वजनिक सुविधाएं जैसे शौचालय और पीने का पानी (वादियों और वकील के लिए) उपलब्ध नहीं है। राजसमंद और अजमेर कोर्ट परिसर में शौचालय अनुपयोगी थे, जबकि लगभग सभी जगहों पर महिलाओं के शौचालयों की संख्या बहुत कम या बहुत सीमित है।
खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से पेश स्टेटस रिपोर्ट और जमीनी हकीकत बदतर हालात का इशारा करती है। कोर्ट ने कहा कि अदालत परिसरों में आगंतुकों की संख्या की कोई गणना नहीं की गई है, लेकिन मोटे तौर पर रोजाना मुकदमे से जुड़े लोग और वकीलों की संख्या करीब डेढ़ लाख होती है। यदि ये आंकड़े सालाना लिए जाते हैं, तो अदालतों का दौरा करने वालों की कुल संख्या 4.5 करोड़ से अधिक होती है, जो राज्य की आधी से अधिक आबादी होती है। ऐसे में यह सरकार का दायित्व है कि ऐसे परिसरों में न्यूनतम स्वच्छता और सुविधाएं सुनिश्चित की जाए।
अदालत परिसर में अधिवक्ता कक्षों की उपलब्ध्ता नहीं – 217 परिसर बार कक्ष की अनुपलब्धता – 114 परिसर
कैंटीन सुविधा का अभाव -218 परिसर प्रतीक्षा कक्ष नहीं – 126 परिसर
लॉकअप सुविधा की कमी:171 परिसर
वाटर कूलर की अनुपलब्धता -118 परिसर पार्किंग सुविधा नहीं -159 परिसर