उन्होंने पत्रिका से एक मुलाकात में कहा कि आज मोबाइल रखना लगभग सभी लोग पसंद करते हैं, लेकिन उनसे पूछा जाए कि पढ़ाई कितनी देर की? मोबाइल इन्सान को चलाएगा या इन्सान मोबाइल को चलाएगा। यह फैसला यूथ को करना है कि वो हर वक्त गैर जरूरी तौर पर मोबाइल एडिक्ट हैं या नॉलेज के लिए मोबाइल यूज कर रहे हैं।
प्रोफेसर नौशीन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मैंने टेक्नो नॉलेज का सही इस्तेमाल किया है। आेपन सोर्स टूल्स उपयोग कर के ऑनलाइन कोड लेबिंग के माध्यम से एक भी पैसा खर्च किए बगैर हुनर और आइडिया को कनेक्ट किया है। उनके मुताबिक आेपन सोर्स में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस और रोबोटिक्स रेडिमेड फ्री उपलब्ध हैं।
वे सनसिटी सहित देश के 30 सब चैप्टर हैं जो वीमन को टेक मेकर बनाने का काम कर रही हैं। नौशीन का शुमार राजस्थान की उन तीन लेडीज में होता है जिन्हें गूगल ने इको फ्रें डली एग्जामिनेशन सिस्टम डवलप करने के लिए चुना हैै। उनके आईईईई में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर से जुड़े 4 जर्नल भी पब्लिश हो चुके हैं।