संस्कृति री सत-सौरम, अंतस री आवाज ।। भाषा फगत भावां अर विचारां नै प्रगट करण रौ माध्यम ई नीं है, बीं में समाज री संस्कृति लोगां रा संस्कार, अेक पूरी जीवण पद्धति, अखण्ड-आस्था अर प्रगाढ आत्म विश्वास ई प्रगट हुवै। मानव रै जीवण मूल्यां री झणकार उणरी भाषा में सुणीजै। आपरी भाषा सूं जुड़ियोड़ा लोग आपरी माटी अर मरजाद सूं गहरौ जुड़ाव राखै, क्यूंकै भाषा में उण प्रदेस री माटी री सौरम स्वाभाविक रूप सूं मौजूद रैवै।
आपाणी मायड़ भाषा राजस्थानी आखी दुनिया में आपरी अणूठी ओळखाण राखै। राजस्थान अर देस -विदेस में रैवण वाळा 10 करोड़ राजस्थानी लोगां रै अंतस री वाणी। जलम देवण वाळी मां, मायड़ भोम अर मायड़ भाषा री होड़ कुण करै? मिनखाजूण अर मिनखपणा रै मरजाद री ओळखाण मां, मायड़ भोम अर मायड़ भाषा सूं इज हुवै।
टाबर री परंपराऊ सिक्सा तौ जनम रै बाद ई सरु हुवै, पण आधुनिक वैग्यानिक सोध रै मुजब सिक्सा री सरूआत तौ दरअसल मां रौ गरभ मांय ई हुय जावै। आधुनिक शोध सूं साफ है के समय सूं तीन मईनां पैली जनम्यै टाबर नै ई उणी तरै आखरां नै समझण री खिमता हुवै, जैड़ी मोटियारां में हुवै। समय सूं यानै 37 हफ्तां रै बाद पैदा हुयै टाबर मांय आपरी मां री आवाज पिछाणण री खिमता हुवै। वौ गरभ मांय सुणियोड़ी दो भाषावां में फरक कर सकै अर गरभ मांय सुण्योड़ी छोटी कहाणियां नै ई याद राख सकै।

सोध सूं पतौ चालै के संगीत अर भाषा रौ प्रभाव गरभ मांय ई पड़ै। कीं दूजा वैग्यानिक सोध सूं आ बात ई सांमी आई है के वौ आपरी मायड़ भाषा नै इज पिछाण सकै। ज्यूं अेक सोध में देख्यौ गयौ के स्वीडिस बाळक अंगरेजी रै सबदां नै असैंधा मानै। उणी तरै अमरीकी बाळक स्वीडिस रै सबदां नै असैंधा मानै।
कैवण रौ मतलब औ कै मां अर मायड़ भाषा रौ अंतसतणौ जुड़ाव हुवै। समाज अर संस्कृति रै उणियारै मां रै दूध अर गोद में अंगेजियोड़ी भाषा, जीवण रा हरेक पहलू सूं जुड़ियोड़ी सबदांवली अर उणरी सहज अभिव्यक्ति आत्म-विश्वास रै सागै आपरी मायड़ भाषा में इज कर सकै। आ सगळी बातां सूं आ बात प्रमाणित हुवै के मायड़भाषा रौ मैतव अपणै आप में घणौ अनूठौ है। इणी’ज कारण हरेक मिनख नै आपरी मायड़ भाषा संसार री सगळी भाषावां सूं चोखी लागै।