scriptInternational Museum Day- ये म्यूजियम बयां करते है इतिहास की जीवंत कहानी, देखें तस्वीरें… | Patrika News
जोधपुर

International Museum Day- ये म्यूजियम बयां करते है इतिहास की जीवंत कहानी, देखें तस्वीरें…

8 Photos
5 years ago
1/8

जेके भाटी/जोधपुर. अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर हम आपकों बता रहे है, सूर्यनगरी के एेसे संग्रहालयों के बारे में जो इतिहास की हर एक विशेष चीज के लिए प्रसिद्ध है। सरकारी तौर पर यहां दो संग्रहालय है, लेकिन उसके अलावा भी यहां एेसे कई संग्रहालय है जिसमें इतिहास से जुडी वस्तुएं व ग्रंथ आज भी संग्रह करके रखे हुए है।

2/8

सरदार राजकीय संग्रहालय उम्मेद उद्यान के मध्य स्थित इस संग्रहालय में मारवाड़ के दक्ष कारीगरों द्वारा निर्मित विविधवर्णी वस्तुओं का संग्रह है। इस संग्रहालय में आठ दीर्घाएं (प्रस्तावना कक्ष, प्राणी कक्ष, औद्योगिक कक्ष-प्रथम, अस्त्र-शस्त्र कक्ष, प्रतिमा कक्ष, औद्योगिक कक्ष-द्वितीय, एेतिहासिक कक्ष एवं महावीर कक्ष) है, जिनमें मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त पुरा सम्पदा एवं कलात्मक वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। जिनमें पाषाण प्रतिमा, चित्र, लकड़ी, हाथी दांत, पीतल, चीड़, खस तथा मिट्टी निर्मित कलात्मक वस्तुएं, दुलर्भ जानवर शेर, मगरमच्छ, घडियाल, भेडिया व सुअर आदि के सिर, प्राचीन बंदुकें, पिस्तोल, खंजर, तलवारें, ढाल-भाले, तोप के गोले एवं मारवाड रियासत के शासकों के आदम कद चित्र दर्शकों के देखने के लिए रखे हुए है।

3/8

राजकीय संग्रहालय, मण्डोर पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग का यह दूसरा संग्रहालय है, जिसकी स्थापना सन् १९६८ में जनाना बाग के प्राचीन महल में की गई थी। इस संग्रहालय में मूर्तिकला के अवशेष, शिलालेख, चित्र, खुदाई से प्राप्त सभ्यता के अवशेष, प्राणी, हस्तकला, शरीर और प्राकृतिक विज्ञान की सामग्री का संग्रह विभिन्न दीर्घाओं में किया हुआ है। वर्तमान में एक वर्ष से मरम्मत का कार्य चलने के कारण यह संग्रहालय दर्शकों के लिए बंद है।

4/8

मेहरानगढ़ म्यूजियम मेहरानगढ़ में संग्रहालय निर्माण को लेकर पूर्व सांसद गजसिंह ने मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट की शुरूआत मार्च १९७२ में की थी। संग्रहालय में एेतिहासिक काल की सांस्कृतिक वस्तुएं, हाथियों के हौदे, ढाल-तलवारें, कटार, बंदूक आदि विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों के साथ ही रंगचित्र, रेखाचित्र, छायाचित्र, व्यक्तिचित्र आदि ललित कला सामग्री, विभिन्न अलंकृत कलावस्तुएं, हस्तलिखित ग्रंथ व मुद्रित पुस्तकें है। जिनका उपयोग शैक्षणिक विकास के लिए होता है। यहां प्रतिवर्ष १२ लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक दुर्ग भम्रण करने आते है। संग्रहालय में १४ प्रदर्शन कक्षों में राठौड साम्राज्य की विविध प्रकार की एेतिहासिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय ने विश्वभर की अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भी भाग लिया और वहां अपने क्षेत्र की विरासत को प्रदर्शित किया।

5/8

उम्मेद भवन पैलेस विश्वविख्यात उम्मेद भवन पैलेस वास्तु कला, शिल्प कला व स्थापत्य कला का सुंदर मनमोहक उत्कृष्ट उदाहरण है। महाराजा उम्मेदसिंह ने १८ नवम्बर १९२९ को भूमि पूजन कर भवन का शिलान्यास किया। इसके एक भाग में संग्रहालय है, जहां ४० व ५० के दशक की लाइफ स्टाइल को गैलेरी के माध्यम से दर्शाया गया है। जिसमें फर्नीचर, डाईनिंग व राईटिंग सेट को विभिन्न गैलेरियों में दर्शाया गया है। जो उस काल के चित्रण को जीवंत करते है। संग्रहालय में एंटीक घडियों और विंटेज गाडियों का शानदार संग्रह भी है।

6/8

ओरियन्टल आर्ट गैलेरी राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में प्राचीन, दुर्लभ, सचित्र हस्तलिखित ग्रंथों का अमूल्य संग्रह है। आम व्यक्तियों को दुर्लभ सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू कराने के लिए ओरियन्टल आर्ट गैलेरी में इन ग्रंथों व चित्रों को रखा गया है। यहां पाल, राजपूत, पश्चिमी भरतीय, जम्मू कश्मीर, दक्षिण भारतीय तथा राजस्थान के स्थानीय शासकों के काल में पल्लवित स्थान विशेष की लघुचित्र शैलियों के ग्रंथ रखे हुए है। इसके अलावा द्वित्रिपंचपाठात्मक दुर्लभ लेखन शैली, ताड़, भोज, काष्ठ, पट एवं कागदीय आधारों के हस्तलेख भी है। दर्शकों के लिए इसके खुलने का समय सुबह १०.३० बजे से शाम ५ बजे तक रखा गया है।

7/8

महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश की स्थापना महाराजा मानसिंह ने २ जनवरी १८०५ में की थी। इस शोध केन्द्र में पाण्डुलिपियों का विपुल भण्डार है, जिसमें ग्रंथों की संख्या करीब ९००० और बहिए ५००० है, जो महाराजा अजीतसिंह से महाराजा सरदारसिंह तक मिलती है। महाराजाओं के समय में मिलने वाली इन बहियों में कपड़ों के कोठार की बहियां, ढोलियों के कोठार की बहिया, कमठा के कोठार की बहिया, सिलेखाना के कोठार की बहिया, रनिवास के कोठार की बहिया, आभूषणों की बहियां एेतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां अनेक विषयों पर संस्कृत के लगभग ५२०५ गं्रथ है। इनमें से कुछ गं्रथ बहुत ही दुर्लभ है।

8/8

अरणा-झरणा मरूस्थल संग्रहालय अरणा-झरणा मरूस्थल संग्रहालय की स्थापना पद्मभूषण कोमल कोठारी ने की थी। उनके पुत्र कुलदीप कोठारी ने बताया कि इस संग्रहालय में राजस्थान के जनजीवन, पर्यावरण एवं प्रदर्शनकारी कलाओं की स्थायी व अस्थाई झांकीयां संजोई गई है। लोकवाद्ययों का संग्रह, कठपुतली प्रदर्शन, झाडुओं का संग्रह इस संग्रहालय की विशेषताएं है। यह संग्रहालय नगरीय जीवन में पल रहे बच्चों से लेकर भारत आने वाले पर्यटकों को मरूस्थलीय संस्कृति एवं जनजीवन की जीवंत झांकी के दर्शन करवाता है। यह संग्रहालय पर्यटकों के लिए सुबह ९ बजे से शाम ६ बजे तक खुला रहता है।

loksabha entry point
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.