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झोलाछाप कर रहे इलाज, 30 से 50 रुपए फीस लेकर मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

locationजोधपुरPublished: Jun 11, 2019 03:53:08 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

सांगरिया की ज्यादातर दवा दुकानों पर कथित डॉक्टरों की सुविधा
 

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झोलाछाप कर रहे इलाज, 30 से 50 रुपए फीस लेकर मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

अभिषेक बिस्सा/अरविंद सिंह राजपुरोहित/जोधपुर. प्रदेश के दूसरे सबसे बड़़े शहर जोधपुर में झोलाछाप 30 से 50 रुपए में इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। ये नीम हकीम बगैर किसी वैध डिग्री के मरीजों का उपचार कर रहे हैं। ये झोलाछाप खुलेआम छोटी सी दुकान पर न केवल डॉक्टर बन मरीजों का इलाज कर रहे हैं, बल्कि फार्मासिस्ट बन दवाइयां व नर्स बन ड्रिप भी चढ़ा रहे हैं।
जिम्मेदार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमा कोई कार्रवाई करने की बजाय गहरी निद्रा में है। ना ही सहायक औषधि नियंत्रण कार्यालय की ओर से शैड्यूल एच की दवाइयां बगैर लाइसेंस बेचे जाने के संबंध में कार्रवाई हो रही है। राजस्थान पत्रिका टीम ने सोमवार को शहर से सटे बासनी, सांगरिया व सालावास में स्टिंग कर ऐसे कई नीम-हकीम झोला छाप चिकित्सकों की पोल खोली। सांगरिया इलाके में लगभग हर मेडिकल स्टोर पर डॉक्टर उपलब्ध होने का बोर्ड नजर आया।
आठ गुणा आठ की दुकान, मरीज को चढ़ा रहा था ड्रिप
सुबह के करीब दस बजकर 40 मिनट। इलाका बासनी। डॉक्टर का नाम सदानंद। यहां सदानंद करीब 8 गुणा 8 की दुकान में एक मरीज के ड्रिप चढ़ा रहा था। इस मरीज ने बताया कि उसकी तबीयत गर्मी के कारण खराब हो गई। यहां पत्रिका ने अपने साथी रिपोर्टर को आदतन शराबी बताया और कहा कि इसकी भी तबीयत खराब है व उल्टियां हो रही हैं। इस पर सदानंद ने उन्हें अपनी दुकान से गोलियां लिखी और खुद ही दे दी। झोलाछाप सदानंद खुद ही फार्मासिस्ट व डॉक्टर बना हुआ है। यहां पत्रिका से सदानंद ने 30 रुपए फीस ली। सदानंद ने कहा कि वह कम्यूनिटी मेडिकल सर्विस प्रेक्टिसनर्स की ट्रेनिंग ले चुका है। इस डिग्री के बाद वह प्राइवेट काम कर सकता है। सदानंद ने इस दौरान पत्रिका रिपोर्टर को डोम्प्रीडोन, दस्त बंद होने के लिए स्पोरोलेक और पेट में इंफेक्शन दूर होने की दवा नोटिन-टीजेड दी।
सालावास में दुकान, कोर्स आरएमपी
इसके बाद पत्रिका टीम सालावास के क्षत्रियों का मोर्चा धुंधांड़ा पहुंचीं। यहां दिशा मेडिकल शॉप के बिल्कुल आगे एक छोटे से मकान के पास झोलाछाप सीके विश्वास बैठे मिले। सीके विश्वास को दिखाने यहां बुजुर्ग दंपत्ती आया हुआ था। यहां भी रिपोर्टर को आदतन शराबी बताया और फिर वही पुरानी कहानी बताई। यहां ट्रीटमेंट के तौर पर ग्लूकोन डी, जी घबराने के लिए रेबिप्राजॉल, डोम्परीडोन समेत अन्य दवाइयां लिखी। यहां भी विश्वास से पूछा गया कि आपने कहां से कोर्स किया। इस पर विश्वास ने कहा कि वे आरएमपी हैं। यानी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिसनर। यहां विश्वास के कमरे में बहुत सारी ड्रिप पड़ी हुई थी। बाहर भी एक लोहे के बैड के पास ड्रिप चढ़ाने का स्टैंड मिला। यहां दवा लिखने के बाद झोलाछाप ने पास के दिशा मेडिकल भेजा और खुद की फीस पचास रुपए बताई।
सांगरिया में हर दुकान पर डॉक्टर की सुविधा
सांगरिया में सुबह 11 बजकर 24 मिनट। यहां हर दुकान पर डॉक्टर की सुविधा होने का बोर्ड नजर आया। जबकि स्वास्थ्य विभाग को यहां असली हालात जानने की जरूरत है। शंकर नगर सांगरिया में एक मेडिकल स्टोर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लिखा मिला। दवा दुकान पर यह बोर्ड देख हम भी हैरान हो गए, भीतर गए तो खुद को बीडीएस बताने वाले डॉक्टर से मुलाकात हुई। जिन्होंने खुद को उदयपुर से बीडीएस करना व फार्मासिस्ट कोर्स करना भी बताया। यहां भी पत्रिका टीम ने अपने साथी रिपोर्टर को बीमार बताया। उसने फिजीशियन बन 20 रुपए फीस लेकर जनरल मेडिसिन लिखी। जानकारों का कहना है कि बीडीएस डिग्रीधारी फिजीशियन बन सामान्य मरीज नहीं देख सकता।
झोलाछाप पर कार्रवाई करेंगे

हम यहां कल मामला दिखवाएंगे। झोलाछाप पर हम कार्रवाई करेंगे। बीडीएस कोर्स किया हुआ तो फिजीशियन की तरह मरीज नहीं देख सकता।
– डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ

बीडीएस डिग्रीधारी नहीं बन सकता फिजिशियन
वर्तमान में बीडीएस डिग्रीधारी डॉक्टर फिजिशियन बन सामान्य मरीज नहीं देख सकता। केन्द्र सरकार द्वारा बीडीएस को फिजिशियन का परामर्श देने के लिए एक कोर्स करवाना प्रस्तावित है, लेकिन ऐसा अभी हुआ नहीं है। बीडीएस को दंत रोगी ही देखने चाहिए। दंत रोग से जुड़े साइड इफैक्ट्स में जरूर जनरल मेडिसिन दे सकते हैं।
– डॉ. विकास देव, विभागाध्यक्ष, दंत चिकित्सा विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
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