सात से आठ हजार मार्कशीट बांटी जलवानिया का कहना है कि आरोपी संध्या नागौरी जेएनयू में तत्कालीन नेशनल कॉर्डिनेटर थी। फर्जी मार्कशीट व डिग्रियां बेचने का मामला सामने आने के बाद सरकार ने विश्वविद्यालय पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद कोई भी नई भर्ती और परीक्षाएं कराने पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद भी जेएनयू ने न सिर्फ परीक्षाएं कराई थी, बल्कि मार्कशीटें भी बांट दी थी। इसी के चलते वर्ष 2015 में जेएनयू के खिलाफ एक और एफआइआर दर्ज की गई थी।
विद्यार्थी की फीस का पांच प्रतिशत मिलता था कमीशन एसओजी का कहना है कि आरोपी संध्या नागौरी नेशनल कॉर्डिनेटर होने से स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर व अन्य संस्थानों से विद्यार्थियों की व्यवस्था करवाती थी। किसी भी पाठ्यक्रम के लिए विद्यार्थी के आने पर डिग्री व मार्कशीट करा दी जाती थी। बदले में उसे विद्यार्थी की कुल फीस का पांच प्रतिशत कॉर्डिनेटर को मिलते थे।