अफलाटॉक्सिन लीवर व आमाशय का कैंसर पैदा करता है। एसपर्जिलस नाइजर नामक कवक से यह फसलों के जरिए मनुष्य की खाद्य शृंखला में शामिल हो जाता है। प्रयोग के दौरान गाय और बकरी के खाए जाने वाले ग्वार, कपास के बीज, जौ और खेजड़ी की पत्तियों की जांच की, लेकिन उनमें अफलाटॉक्सिन के कारक बहुत कम थे। राजस्थान में तापमान अधिक रहने की वजह से कवक मर जाती है। लेकिन यूरोप के दूध में यह पाया जाता है इसलिए वहां इसकी अनुमोदिन मात्रा 4 माइक्रोग्राम प्रति मिलीलीटर तय कर रखी है। गुजरात की रिसर्च में सामने आया कि मिर्ची सहित अन्य मसालों में अफलाटॉक्सिन की अधिक मात्रा के कारण यूरोपियन देश भारतीय मसालों को ठुकरा देते हैं। इसका एक कारण व्यापारियों द्वारा खाद्य पदार्थों का उचित भण्डारण नहीं है। आद्र्रता अधिक होने से खाद्य पदार्थों में कवक के जरिए अफलाटॉक्सिन आ जाता है।