दस लाख का काम सवा चार करोड़ में! विवि का समस्त ऑन लाइन काम पहले विवि का कम्प्यूटर साइंस विभाग करता था। इस पर सालाना 10 लाख रुपए खर्च होते थे। लेकिन 13 अप्रेल 2016 को विवि ने ऑन लाइन का काम बगैर टैण्डर 4.20 करोड़ रुपए सालाना की दर से दिल्ली की फर्म आइटीआई को सौंप दिया। ठेके की मियाद 12 अप्रेल 2019 तक है। विवि ठेका फर्म को हर तीन माह में भुगतान करता है। पिछली दो तिमाही के के 2.40 करोड़ रुपए बकाया थे।
पूर्व कुलपति ने बनाया भुगतान के लिए दबाव
पूर्व कुलपति डॉ. रामपाल सिंह ने 5 मई को कार्यकाल खत्म होने से दो दिन पहले ठेका फर्म के बिलों पर हस्ताक्षर कर दिए और 1.19 करोड़ का भुगतान हाथों करने को कहा। इसके लिए दिल्ली से ठेका फर्म के अधिकारियों को भी बुला लिया। लेकिन विवि की वित्त एवं लेखा शाखा के अधिकारियों ने रामपाल सिंह के पद से हटते ही फर्म का भुगतान रोक दिया।
बच्चों के लिए दिए 60 लाख पिछले सप्ताह विवि के बैंक खाते में 1 करोड़ 30 लाख रुपए थे। बच्चों का रिजल्ट रुकने की नौबत आने पर विवि ने 60 लाख रुपए का भुगतान फर्म को कर दिया। अब विवि के खाते में करीब 70 लाख रुपए बचे हैं। इस रकम से अगले माह वेतन और पेंशन का चुकारा नहीं हो सकता। विवि प्रशासन ने राज्य सरकार को अविलम्ब अनुदान जारी करने के लिए लिखा है। अनुदान नहीं मिला तो पेंशन का भुगतान विद्यार्थियों की फीस व अन्य शुल्क से पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
अब तक 9 करोड़ का घोटाला विवि प्रशासन ने राजस्थान लोक उपापन अधिनियम की धारा का सहारा लेते हुए आइटीआइ कम्पनी को बगैर टैंडर ठेका दिया। यह धारा सरकारी एजेंसियों को बाढ़, चक्रवात, तूफान और अकाल जैसी अकल्पित घटनाओं में प्रतियोगी बातचीत के जरिए सीधी खरीद की
शक्ति देती है। पिछले महीने जोधपुर आई प्रदेश के महालेखाकार के टीम ने विवि की इस अनियमितता को पकड़कर जवाब तलब किया था। जानकारों के मुताबिक इस मद में अब तक करीब 9 करोड़ का घोटाला हो चुका है।
विवि का रिजल्ट रुकने नहीं दिया जाएगा रिजल्ट समय पर आ रहे हैं। कोई भी रिजल्ट रुकने नहीं दिया जाएगा। बीएससी के तीनों रिजल्ट साथ जारी किए जाएंगे। विवि तीस जून से पहले लगभग सभी रिजल्ट निकाल देगा। कम्पनी ने रिजल्ट रोका या नहीं, मुझे जानकारी नहीं है।
प्रो. प्रदीपकुमार शर्मा (बी), कार्यवाहक रजिस्ट्रार, जेएनवीयू