scriptजेएनवीयू का तर्क, राज्य सरकार के संशोधनों को ही 317 मानकर किया था पास | JNVU's argument, considering the amendments of the state govt as 317 | Patrika News
जोधपुर

जेएनवीयू का तर्क, राज्य सरकार के संशोधनों को ही 317 मानकर किया था पास

– ऑर्डिनेंस-317 के सम्बन्ध में विवि ने फिर दिया स्पष्टीकरण- ऑर्डिनेंस को टेबल आइटम के रूप में रखकर पास करवाने का विवि के पास कोई जवाब नहीं

जोधपुरSep 19, 2021 / 05:39 pm

Gajendrasingh Dahiya

जेएनवीयू का तर्क, राज्य सरकार के संशोधनों को ही 317 मानकर किया था पास

जेएनवीयू का तर्क, राज्य सरकार के संशोधनों को ही 317 मानकर किया था पास

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती व पदोन्नति के संबंध में ऑर्डिनेंस-317 को बगैर एकेडमिक काउंसिल की अनुमति के राज्यपाल के पास भेजने के मुद्दे पर शनिवार को विवि ने फिर से स्पष्टीकरण जारी किया। विवि का कहना है कि राज्य के पत्र से 25 अगस्त 2020 को किया गया ऑर्डिनेंस डेफर का निर्णय स्वत: ही निरस्त हो गया। विवि ने 27 जनवरी 2021 की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में राज्य सरकार की ओर से भेजे गए संशोधन को ऑर्डिनेंस-317 मानकर ही पास किया था व कुलपति को अधिकृत किया। हालांकि विवि के मिनट्स में इस संदर्भ में ऑर्डिनेंस-317 नाम का कहीं उल्लेख नहीं है। दबी जुबान में विवि ने माना है कि कर्मचारियों की गलती से मिनट्स बनाने में कुछ खामियां रह गई।
उधर विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार आइटम डेफर होने के बाद उसे फिर से उसी बॉडी (एकेडमिक काउंसिल) में पारित होने के लिए लाना पड़ता है। वैसे भी सिण्डीकेट में रखे गए ऑर्डिनेंस 317 को 27 जनवरी के बाद एक कमेटी ने अंतिम रूप दिया था। शिक्षकों की भर्ती व पदोन्नति जैसे महत्वपूर्ण ऑर्डिनेंस को सिण्डीकेट में टेबल आइटम के रूप में क्यूं रखा गया, इसका विवि के पास जवाब नहीं है। सिण्डीकेट रेगुलेशन संख्या-56 (सी) के अनुसार कोई भी ऑर्डिनेंस टेबल आइटम के रूप में सिण्डीकेट में नहीं रखा जा सकता।
…………………
‘हमारी मंशा गलत नहीं थी। 27 जनवरी 2021 की एकेडमिक काउंसिल बैठक में मुझे अधिकृत कर दिया था हालांकि उस एजेण्डा में ऑर्डिनेंस-317 लिखना भूल गए थे।’
प्रो पीसी त्रिवेदी, कुलपति, जेएनवीयू

‘न तो एजेंडा आइटम में 317 का जिक्र था और न ही निर्णय में। सिण्डीकेट में वही ड्राफ्ट ऑर्डिनेंस जाता है जो एकेडमिक काउंसिल में पारित होता है। जो सिण्डीकेट में गया था वह एकेडमिक काउंसिल के विचारार्थ आया ही नहीं।’
प्रो डूंगर सिंह खीची, पूर्व सिण्डीकेट सदस्य, जेएनवीयू

Home / Jodhpur / जेएनवीयू का तर्क, राज्य सरकार के संशोधनों को ही 317 मानकर किया था पास

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो