विश्वविद्यालय में इस बार 20 हजार 155 मतदाता है, जिसमें से 60 प्रतिशत मतदाता सीधे तौर पर ग्रामीण इलाकों से जुड़े हुए हैं। इसमें से कुछ हॉस्टल तो कुछ कमरा किराए पर लेकर रह रहे हैं। विवि में करीब पचास फीसदी मतदान होता है यानी 10 हजार के आसपास मतदान होगा, जिसमें से एक तिहाई छात्र-छात्राएं सीधे गांव से आकर यहां मतदान करेंगे। छात्र संगठनों ने इनको लुभाने के लिए गावों में अपने समर्थकों के माध्यम से बड़ी सभाएं, बैठक करने के साथ गांव के बड़े बुजुर्गों को भोळावणी दी है।
संबंधित प्रत्याशी के कुछ समर्थकों को एक-एक गांव की जिम्मेदारी सौंपी गई है जहां से विद्यार्थियों से सम्पर्क करके उनके आईडी कार्ड, शहर में रहने की व्यवस्था की जानकारी एकत्रित की जा रही है। इनकी सूचियां तैयार की गई है, जिसके अनुसार सोमवार से ही बसें लगाई जाएगी। इक्का दुक्का बस मंगलवार सुबह छात्रों को लेने के लिए गांवों की ओर रुख करेगी।
250 से 500 छात्रों का टारगेट
एबीवीपी के त्रिवेंद्र पाल सिंह, एनएसयूआई के हनुमान तरड़, एसएफआई के अजयसिंह टाक के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने एक पखवाड़े पहले से ही गांवों में प्रचार शुरू कर दिया था। प्रत्येक प्रत्याशी अपने खेमे में 250 से 500 छात्र-छात्राओं को सीधे गांव से लेकर मतदान केंद्र पहुंचाने के प्रयास में जुटा है ताकि इतने वोट तो उनके खाते में सुनिश्चित हो सके।
प्रतिदिन 50 किलोमीटर का प्रचार सभी प्रत्याशी औसतन प्रतिदिन पचास किलोमीटर तक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसके लिए उनके साथ गाडिय़ों का काफिला भी है। प्रत्येक प्रत्याशी के काफिले में 10 से 15 गाडिय़ां हैं। सोमवार रात तक यह काफिला थम जाएगा।