मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश डॉ.पुष्पेंद्रसिंह भाटी की खंडपीठ में ऋतुराज सिंह राठौड़ की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती आदेश की पालना में अतिरिक्त शपथ पत्र पेश किया। याचिकाकर्ता ने संक्रमित खून चढ़ाने से एचआइवी व हेपेटाइटिस होने की आशंका जताते हुए याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि नेट तकनीक से खून में संक्रमण का कुछ दिनों में ही पता चल जाता है, लेकिन वर्तमान में उपयोग ली जा रही तकनीक से संक्रमण पता चलने में काफी दिन लग जाते हैं। इसके चलते कई मामलों में रोगियों को संक्रमित खून चढ़ा दिया जाता है। कोर्ट ने सरकार को बीकानेर, भरतपुर, कोटा एवं अजमेर सहित अन्य संभागों में खून जांच की उच्चस्तरीय नेट जांच तकनीक स्थापित करने के संबंध में शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे।
अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा की ओर से पेश शपथ पत्र के अनुसार राज्य के सभी ब्लड डिसऑर्डर मरीजों (थैलेसिमिया, सिकल सेल, एनीमिया आदि) को ट्रांसफ्यूजन सपोर्ट के अंतर्गत नि:शुल्क नेट टेस्टेड ब्लड उपलब्ध करवाए जाने के लिए बजट आवंटित किया गया है। इसके तहत जेएनएल अस्पताल, अजमेर, एमबीएस अस्पताल, कोटा तथा एसआरजी अस्पताल झालावाड़ को अपने ब्लड सेंपल राजकीय एमबी अस्पताल उदयपुर को भिजवाने के लिए निर्देशित किया गया है। जबकि एसएमएस अस्पताल जयपुर, एमडीएम, उम्मेद तथा एमजी अस्पताल जोधपुर, पीबीएम अस्पताल बीकानेर तथा भरतपुर चिकित्सालय के ब्लड सेंपल एम्स जोधपुर को भिजवाने के लिए निर्देशित किया गया है।
तीन करोड़ आवंटित, अदालती कार्यवाही में उलझी निविदा
शपथ पत्र के अनुसार एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर में एनएचएम के अंतर्गत नेट मशीन लगाने के लिए 3 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया था, लेकिन उसकी निविदा प्रक्रिया अदालती कार्यवाही में उलझी हुई है। अगले एक महीने में अजमेर, बीकानेर तथा भरतपुर मेडिकल कॉलेजों में नेट टेस्ट सुविधा उपलब्ध करवाना प्रस्तावित है। खंडपीठ ने नेट सुविधा के लिए नाको को पक्षकार बनाने को कहा है। अगली सुनवाई फरवरी के प्रथम सप्ताह में होगी।