जोधपुर. आज विश्व मानवतावादी दिवस है। कहा भी गया है कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। कुछ ऐसे ही भाव के साथ मानवता की मिसाल पेश करते हुए घायल हुए एनिमल्स की मदद में तत्पर रहती है शहर के कुड़ी में रहने वाली बेटी लक्ष्मीसिंह राठौड़। जिसकी उम्र भले ही 14 वर्ष है, लेकिन हौंसले उम्र से कहीं बड़े। प्रतिभा की धनी लक्ष्मी कम उम्र में ही इस तरह के कारनामे कर रही है जिसे देख कर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा देता है। एनिमल्स के प्रति लगाव का ही असर है कि राह चलते हो या सफर में कहीं भी वन्य जीव घायल अवस्था में मिलता है तो लक्ष्मी तुरंत ही उसकी मदद को जुट जाती है। इतना ही नहीं अब तक हिरण, बंदर, ईगल, ईमू व स्नैक सहित अन्य एनिमल्स का प्राथमिक उपचार कर उन्हें सुरक्षित रेस्क्यू सेंटर पहुंचा चुकी है लक्ष्मी। पेश है लक्ष्मी के हौंसले व जज्बे की कहानी-
अब तक दर्जन भर स्नैक को छोड़ चुकी है सुरक्षित स्थान
लक्ष्मी ने बताया कि कई बार घर या आस-पास की जगहों पर स्नैक को देखते ही लोग उसे मारने लगते हैं, लेकिन उन्हें मारने के बजाय बचाना हमारा फर्ज है। इसलिए वो अब तक पाइथन, रॉयल ब्लैक हैडेड, कोबरा, सैंड बोआ सहित कई स्नैक लोगों की भीड़ से बचाकर लक्ष्मी सुरक्षित स्थान छोड़ चुकी है। इस काम में उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता। हाल ही में मधुबन के विजय नगर में भी घर में एक स्नैक निकल आया। जिसे पकड़ लक्ष्मी ने उसे कायलाना की पहाडिय़ों में सुरक्षित स्थान छोड़ा। लक्ष्मी ने बताया कि भविष्य में एनिमल्स डॉक्टर बन वन्यजीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर खोलना चाहती है।
लक्ष्मी ने बताया कि कई बार घर या आस-पास की जगहों पर स्नैक को देखते ही लोग उसे मारने लगते हैं, लेकिन उन्हें मारने के बजाय बचाना हमारा फर्ज है। इसलिए वो अब तक पाइथन, रॉयल ब्लैक हैडेड, कोबरा, सैंड बोआ सहित कई स्नैक लोगों की भीड़ से बचाकर लक्ष्मी सुरक्षित स्थान छोड़ चुकी है। इस काम में उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता। हाल ही में मधुबन के विजय नगर में भी घर में एक स्नैक निकल आया। जिसे पकड़ लक्ष्मी ने उसे कायलाना की पहाडिय़ों में सुरक्षित स्थान छोड़ा। लक्ष्मी ने बताया कि भविष्य में एनिमल्स डॉक्टर बन वन्यजीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर खोलना चाहती है।
कश्मीर में मिला गोल्डन ईगल, होटल में लाकर किया उपचार लक्ष्मी ने बताया कि कुछ समय पूर्व अपने पिता योगेशसिंह व परिवार के सदस्यों के साथ कश्मीर घुमने गई थी। उस दौरान डल झील के किनारे गोल्डन ईगल मिला जो घायल अवस्था में था। अपने पिता के साथ स्थानीय वाहन में आस-पास की जगहों पर एनिमल डाक्टर की तलाश शुरु की, लेकिन जब डॉक्टर नहीं मिला तो उसे जिस होटल में रुके हुए थे वहां लाकर उपचार किया। बाद में उसे सुरक्षित जोधपुर लेकर लाए। यहां उपचार के बाद स्वस्थ होने पर कायलाना झील के किनारे ईगल को सुरक्षित छोड़ दिया। इसके अलावा गुजरात बोर्डर पर हाईवे किनारे घायल ईमू मिला। जिसका प्राथमिक उपचार कर रेस्क्यू सेंटर भिजवाया।
क्यों मनाया जाता है मानवतावादी दिवस
विश्व मानवतावादी दिवस मनाए जाने का उद्देश्य यह था कि इसके जरिए उन मानवीय कर्मियों को उचित सम्मान दिया जा सके, जिन्होंने मानव मात्र की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया है। दरअसल, यह दिवस 19 अगस्त को इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन वर्ष 2003 को बगदाद में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर बमबारी हुई थी। इस बमबारी में इराक में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष दूत सर्जियो विएरा डी मेल्लो समेत 22 अन्य मानवतावादी कर्मी मारे गए थे। संयुक्त राष्ट्र इस दिन को मानवता की सेवा करते हुए बलिदान हो जाने वाले लोगों की साहसिक कार्यों को याद रखने के दिन के रूप में घोषित किया है ।
विश्व मानवतावादी दिवस मनाए जाने का उद्देश्य यह था कि इसके जरिए उन मानवीय कर्मियों को उचित सम्मान दिया जा सके, जिन्होंने मानव मात्र की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया है। दरअसल, यह दिवस 19 अगस्त को इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन वर्ष 2003 को बगदाद में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर बमबारी हुई थी। इस बमबारी में इराक में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष दूत सर्जियो विएरा डी मेल्लो समेत 22 अन्य मानवतावादी कर्मी मारे गए थे। संयुक्त राष्ट्र इस दिन को मानवता की सेवा करते हुए बलिदान हो जाने वाले लोगों की साहसिक कार्यों को याद रखने के दिन के रूप में घोषित किया है ।