जोधपुर

चुनावी साल में जोधपुर शहर को मिली ये सौगातें, जमकर हुए लोकार्पण और शिलान्यास

नजरें उन प्रोजेक्ट पर टिकी है जो पुरानी सरकार के समय शुरू तो हो गए लेकिन अब नई सरकार के कार्यकाल में पूरे होने हैं।

जोधपुरDec 23, 2018 / 03:41 pm

Harshwardhan bhati

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जोधपुर. बीता साल शहर को कई छोटी-बड़ी सौगातें दे गया। चुनावी साल था तो लोकार्पण और शिलान्यास भी जमकर हुए। कहीं चौराहे सजे तो कहीं सडक़ें चमकी। कुछ ऐसी सौगातें मिली जो कि सालों तक अविस्मरणीय हो जाएगी। लेकिन स्मार्ट सिटी नहीं बनना जैसी कई टीस हमारे मन में रहेगी। दो ओवरब्रिज, गणेश मंदिर क्षेत्र का कायाकल्प, अंडरग्राउंड पार्किंग का सालों पुराना सपना भी साकार हुआ। इसके अलावा करोड़ों रुपए के ऐसे कार्य हैं जो कि नगर निगम और जेडीए ने शिलान्यास कर दिए। ऐसे काम जो पिछली सरकार के समय शुरू हुए अब पूरे होने पर संशय है। कई कार्यों के प्रस्ताव कागजों में ही अटके रहे। अब प्रदेश में सरकार बदल चुकी है। शहर की प्राथमिकताएं और प्रोजेक्ट भी बदल सकते हैं। लेकिन नजरें उन प्रोजेक्ट पर टिकी है जो पुरानी सरकार के समय शुरू तो हो गए लेकिन अब नई सरकार के कार्यकाल में पूरे होने हैं।
एक नजर में बीता हुआ साल

– 500 करोड़ से अधिक सडक़ों के काम हुए, फिर भी प्रमुख सडक़ें छलनी हैं।
– 2 ओवरब्रिज के लोकार्पण हुए, 1 ओवरब्रिज शहर में बनना शुरू हुआ।
– 5 चौराहों का सौंदर्यकरण किया गया, 4 अब भी अटके हुए हैं।
– यातायात की समस्या का स्थाई समाधान का अब भी इंतजार।
– स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शहर को निराशा मिली।
– हाइफा हीरो मेजर दलपतसिंह की प्रतिमा का अनावरण, मीरा बाइ की मूर्ति को अब तक इंतजार।
– भीतरी शहर में सडक़ों पर ब्लॉक लगाने का काम, लेकिन सीवरेज कार्य के बाद रोड रेस्टोरेशन नहीं।

1. कांग्रेस बोर्ड में शुरू हुए ओवरब्रिज भाजपा में हुए पूरे
जेडीए की ओर से दो ओवरब्रिज का लोकार्पण बीते साल पूरा किया गया। 21 जून को एक ही दिन में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथों लोकार्पण हुए। पहला ओवरब्रिज मल्टीलेवल फ्लाइओवर के रूप में मिला। जिसका काम करीब 6 साल से अधिक समय से चल रहा था। इसका नाम वीर दुर्गादास राठौड़ के नाम पर हुआ। दूसरा ओवरब्रिज सारण नगर के समीप वीर तेजाजी महाराज के नाम से बना। दो क्षेत्रों को जोडऩे वाला यह ओवरब्रिज भी पिछले कांग्रेस बोर्ड के समय ही शुरू हुआ था।
2. गणेश मंदिर फेज एक और दो
रातानाडा गणेश मंदिर की तलहटी में जल स्वावलम्बन अभियान के तहत दो फेज के काम हुए। एक नए पर्यटक स्थल की सौगात मिली। पुराने तालाब को संरक्षित करने के साथ ही यहां म्युजिकल फाउंटेन और आस-पास हेरिटेज घाट बने। इसके साथ ही समीप एक उद्यान का विकास भी किया गया। मुख्य द्वार के साथ सुरक्षा दीवार बनी है। 21 जून को हुए कार्यक्रम में ही इसका लोकार्पण हुआ। हालांकि तीसरे चरण में अभी मंदिर की पहाड़ी के ऊपर कई काम होने हैं। यह पूरा प्रोजेक्ट 9 करोड़ से अधिक का है। लेकिन मंडोर, उम्मेद उद्यान, अशोक उद्यान जैसे अन्य उद्यानों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
3. चौराहों का नया रूप
शहर के प्रमुख चौराहों का स्वरूप भी इस वर्ष बदला। जेडीए की ओर से प्रति चौराहों पर करीब 30-50 लाख तक खर्च किए। इनमें सर्किट हाउस चौराहा, जलजोग चौराहा, खेतसिंह राठौड़ बंगला चौराहा, कायलाना चौराहा प्रमुख है। इसके अलावा कई चौराहों का काम अटक गया। लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद शिलान्यास स्तर के आगे इनका काम ही नहीं बढ़ा।
4. पहली अंडरग्राउंड पार्किंग सुविधा
सरदारपुरा गांधी मैदान में नगर निगम की ओर से गत 15 अक्टूबर को मल्टी स्टोरी पार्किंग सेवा शुरू की गई। इस पार्र्किंग का एरिया 10 हजार 561 स्कवायर मीटर है। इसकी लागत 21 करोड़ 57 लाख रुपए आई। यहां टू व्हीलर रखने की क्षमता 500 और फोर व्हीलर रखने की क्षमता 263 है। इसी प्रकार दूसरी अंडरग्राउंड पार्र्किंग जो नई सडक़ के समीप बननी थी वह आज भी शहरवासियों के लिए सपना ही है।
 

इन कमियों का दर्द भी
– बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए सिस्टम डवलपमेंट की।
– पानी निकासी के आधारभूत संरचना पर कोई काम नहीं।
– स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का शहर को इंतजार।
– सफाई व्यवस्था और स्वच्छता रैंकिंग में पिछडऩा भी शहर को सालता रहेगा।
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