scriptजोधपुर स्थापना दिवस : जोधपुर में हर तरफ साहित्य और संगीत की बहार | Jodhpur Foundation Day : jodhpur is full of literature and music | Patrika News

जोधपुर स्थापना दिवस : जोधपुर में हर तरफ साहित्य और संगीत की बहार

locationजोधपुरPublished: May 12, 2018 08:44:17 pm

Submitted by:

M I Zahir

जोधपुर शहर अपने साहित्य और संगीत की विरासत के लिए भी जाना जाता है। कई संगीतकारों ने अपने संगीत से शहर को समृद्ध किया है।

literature in jodhpur

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जोधपुर

राज्य की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर शहर की जनता साहित्य और संगीत से आेतप्रोत है। जोधपुर का साहित्यिक जगत बड़ा समृद्ध रहा है। यहां हर भाषा के साहित्य का खूब काम हुआ है। अपने समय में बड़े- बड़े साहित्यकार आए । अज्ञेय, नामवरसिंह और मैनेजर पाण्डेय जैसे मूर्धन्य आलोचक भी य् रहे । क्रांतिकारी कवि मदन डागा भी यहीं हुए। संस्कृत के नित्यानन्द शास्त्री,राजस्थानी के विजयदान देथा और उर्दू के रमजी इटावी का नाम कौन नहीं जानता । वर्तमान समय में उर्दू अदब में शीन काफ निजाम का नाम उल्लेखनीय है । उन्होंने जोधपुर को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। आज जोधपुर में हिन्दी, उर्दू, राजस्थानी व संस्कृत के साहित्यकार मंच साझा करते हैं। डॉ रामप्रसाद दाधीच ,डॉ सावित्री डागा , मोहनकृष्ण बोहरा ,हबीब कैफी ,डॉ सत्यनारायण प्रो. जहूर खां मेहर, हसन जमाल ,डॉ रमाकांत शर्मा , डॉ. पदमजा शर्मा, आईदान सिंह भाटी ,डॉ कौशलनाथ उपाध्याय ,हरीदास व्यास, सुषमा चौहान, मुरलीधर वैष्णव व हरिप्रकाश राठी ़ेजैसे हिन्दी के साहित्यकारों की पीढ़ी के साथ नई पीढ़ी भी अच्छा लिख रही है।
जोधपुर का मान बढ़ाया है
जो अतीत मेरा पीछा न छोड़ तब तक ,जब तक कि मैं उसे लिख न लूँ और उस मार्मिक लिखे हुए को पढ़ कर पाठक उसी तीव्रता से उस भाव को महसूस करे, जो तीव्रता लेखक ने, मैंने महसूस की, मुझे लगता है वह साहित्य है। जोधपुर के साहित्यकारों में वह बात है। हिन्दी हो ,उर्दू हो चाहे राजस्थानी ,सभी भाषाओं के साहित्यकार साहित्य रच रहे हैं । डॉ रामप्रसाद दाधीच,डॉ सावित्री डागा, मोहनकृष्ण बोहरा शीन काफ निजाम,डॉ सत्यनारायण, हबीब कैफी ,आईदानसिंह भाटी व डॉ रमाकांत शर्मा जैसे साहित्यकारों के लेखन ने जोधपुर का मान बढ़ाया है । बिज्जी की रचनाओं ने तो जोधपुर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
-डॅा.पद्मजा शर्मा

विख्यात कवयित्री व शब्द चित्रकार


जोधपुर पर नज़्म

पत्थरों के सब मकान हैं, रेशम के सब मकीं

अब तक ये इज्तिमा तो देखा न था कहीं

चेहरों पे ग़्ाम की धूल सजी, दिल हैं आईने्
इस पत्थरों के शहर का हासिल हैं आईने
इन आईनों में अक्से-$खुलूसो-वफ़ा मिला

जो भी सनम मिला वो दिलों का $खुदा मिला

ये मेहरबां बुतों की दिलों पर ख़ुदाइयां

इस शहरे-दिल नवाज़्ा की ये ख़ुश अदाइयां

हर रास्ते में फूल बिछाता जरूर है्
यारो ये पत्थरों का नगर जोधपुर है

-मखमूर सईदी (मशहूर शाइर सईदी जोधपुर को अपना शहर कहते थे)

जोधपुर संगीत का गढ़

जोधपुर संगीत का गढ़ है। महाराजा मानसिंह के भजन, होरियां और हेलियां प्रसिद्ध हैं। एक ओर मूलर के शिष्य मोहनलाल शर्मा ने चित्रकारी की दुनिया में नाम कमाया तो संगीतकारों के कारण संगीत का एक घराना ही बन गया। शास्त्रीय, सुगम संगीत हो या लोक संगीत अथवा भक्ति संगीत, जोधपुर के संगीतकार हर जगह अपने फन का डंका बजा रहे हैं। शहर का जनसमुदाय शास्त्रीय, सुगम संगीत, भजन, लोक गीत, सितार, सरोद, सारंगी, तबला व ढोलक से सराबोर है। यहां की भाषा भी संगीतमय है। जोधपुर के संगीतकार क्षीरसागर बंधु, गिटारवादक दामोदरलाल काबरा, तबलावादक शंभू जी और सारंगीवादक सुल्तान खां ने नाम कमाया तो संगीत निर्देशक पंडित शिवराम व पंडित नारायण ने फिल्म जगत में खूब नाम कमाया। बाद में गवरीदेवी, मुन्नीलाल डांगी व प्रो. राजेंद्र वैष्णव ने खूब नाम रोशन किया। शहर में आज चारों ओर कला व संगीत की बहार है।
संगीत जीवन में उतारो

मनुष्य जीवन नाद से ही शुरू होता है। जीवन संगीत के बिना जीवन सूना है। संगीत जीवन में उतारो और जीवन को अमृत बनाओ। जोधपुर साहित्य और संगीत की विरासत से लबरेज है। तभी तो कहते हैं :
प्यार नहीं है सुर से जिसको, वो मूरख इन्सान नहीं है

सुर इन्सान बना देता है – सुर रहमान मिला देता है

-पंडित रामचंद्र गोयल, प्रख्यात गायक

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