जानिए हाईकोर्ट के पुरानी इमारत को आकार देने वाले शिल्पी की कहानी, क्यूं आज भी कहलाए जाते हैं गजधर राष्ट्रपति को 24 कैरेट शुद्ध सोने के बर्क से तैयार की हुई गवर-ईसर की प्रतिमा भेंट की जाएगी। यह बर्क जितना पुराना होता जाएगा, उतनी ही उसकी चमक बढ़ती जाएगी। करीब 1 फुट बड़ी प्रतिमा को आम की लकड़ी से तैयार किया गया है। इस लकड़ी की यह खासियत है कि कई सालों बाद भी इसमें दरारें नहीं आएगी और मजबूती बरकरार रहेगी। इन प्रतिमाओं को 2 कारीगरों ने विशेष कलात्मक कारीगरी व रंगों के संयोजन से आकर्षक बनाया है। कारीगरों ने इन प्रतिमाओं को एक माह में तैयार किया है।
हेरिटेज हाईकोर्ट भवन में पिछले 7 दशकों से वकालात कर रहे लेखराज मेहता, बने थे प्रथम बैच के लॉ टीचर सात समन्दर पार भी जाती हैं प्रतिमाएंगणगौर के त्योहार की प्रतीक गवर-ईसर (शिव-गौरी) की पवित्र गाथा की गंूज सात समन्दर पार विदेशों में भी है। लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पादों के निर्यात के लिए विश्वविख्यात जोधपुर से अन्य उत्पादों के साथ गवर-ईसर की प्रतिमाएं भी निर्यात होती हैं। विशेषकर आम की लकड़ी से तैयार प्रतिमाओं में गवर माता की विभिन्न मुद्राएं झलकती हैं। अमरीका, आस्ट्रेलिया, इटली, फ्रांस, जापान, इंग्लैण्ड, कनाड़ा व गल्फ सहित करीब 30 से अधिक देशों में इनका निर्यात किया जा रहा है।
जोधपुर की एम्स, आईआईटी और हाईकोर्ट ने वास्तु जगत में लिखी नई इबारत, ये खूबियां बनाती है सबसे अलग इनका कहना हैगर्व की बातयह मेरे लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रपति को भेंट की जाने वाली गवर-ईसर की प्रतिमा बनाने का मौका मिला। प्रतिमा को सोने के बर्क और विशेष कारीगरी से तैयार किया गया है।
– मनीष अबानी, निर्यातक