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अमरीकी लकड़ी से खुलेगी जोधपुर के हैण्डीक्राफ्ट की खिड़की

locationजोधपुरPublished: Oct 04, 2017 04:13:49 pm

Submitted by:

Amit Dave

स्वदेशी लकड़ी में रूचि हुई कम, निर्यातकों का विदेशी लकड़ी में बढ़ा रूझान अमरीका ने भी निर्यातकों को सेम्पल के लिए फ्री भेजा कंटेनर…

jodhpur handicraft retailers preferring americas wood for export

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स्वदेशी लकड़ी में रूचि हुई कम, निर्यातकों का विदेशी लकड़ी में बढ़ा रूझान अमरीका ने भी निर्यातकों को सेम्पल के लिए फ्री भेजा कंटेनर देश में सबसे ज्यादा लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद जोधपुर में बनते है..एक तरफ देश के प्रधानमंत्री ‘मेक इन इंडिया’ सहित अनेक अभियानों से स्वदेशी अपनाने पर जोर दे रहे है, वही देश में सबसे ज्यादा लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद निर्यात करने वाले जोधपुर शहर के निर्यातकों की स्वदेशी लकड़ी में रूचि कम होती जा रही है। साथ ही, निर्यातकों का विदेशों से आयातित लकड़ी में रूझान बढ़ा है। इसकी वजह हैण्डीक्राफ्ट क्षेत्र में लकड़ी की बढ़ती मांग, लकड़ी की कम उपलब्धता सहित अनेक कारण बताए जा रहे है। परिणामस्वरूप, निर्यातकों ने परम्परा से हटकर एक कदम आगे बढ़ाते हुए विदेशों से आयातित लकड़ी पर हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मानस बनाया है।

अमरीकी लकड़ी से खुलेगी जोधपुर के हैण्डीक्राफ्ट की खिड़की

स्वदेशी लकड़ी में रूचि हुई कम, निर्यातकों का विदेशी लकड़ी में बढ़ा रूझान अमरीका ने भी निर्यातकों को सेम्पल के लिए फ्री भेजा कंटेनर देश में सबसे ज्यादा लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद जोधपुर में बनते है जोधपुर। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री ‘मेक इन इंडियाÓ सहित अनेक अभियानों से स्वदेशी अपनाने पर जोर दे रहे है, वही देश में सबसे ज्यादा लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद निर्यात करने वाले जोधपुर शहर के निर्यातकों की स्वदेशी लकड़ी में रूचि कम होती जा रही है। साथ ही, निर्यातकों का विदेशों से आयातित लकड़ी में रूझान बढ़ा है। इसकी वजह हैण्डीक्राफ्ट क्षेत्र में लकड़ी की बढ़ती मांग, लकड़ी की कम उपलब्धता सहित अनेक कारण बताए जा रहे है। परिणामस्वरूप, निर्यातकों ने परम्परा से हटकर एक कदम आगे बढ़ाते हुए विदेशों से आयातित लकड़ी पर हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मानस बनाया है।
अमरीका ने सेम्पल के तौर पर भेजा फ्री कंटेनर अमरीकन हार्डवुड एक्पोर्ट काउंसिल के एक दल ने डायरेक्टर रोड्रिक विल्स की अध्यक्षता में मई २०१७ में जोधुपर का दौरा किया था व यहां के हैण्डीक्राफ्ट निर्यातकों को अमरीकन ट्युलिप वुड काम में लेने का अग्रह किया था । इसी के चलते काउंसिल ने १८ अगस्त को ही जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन को ट्युलिप वुड का एक कंटेनर सेम्पल के तौर पर काम में लेने के लिए अमरीका से रवाना कर चुका है। जोधपुर के निर्यातक अमरीका के अलावा जर्मनी, अफ्रीका के गेबॉन, कनाड़ा आदि देशों की लकड़ी पर काम कर रहे हैं।
इसलिए हुआ विदेशी लकडि़यों की तरफ रूझान

– जोधपुर से प्रतिदिन कम से कम २ हजार टन लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट का निर्यात

– जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट क्षेत्र में लकड़ी की मांग बढऩा

– लकड़ी की उपलब्धता कम होना
– लकड़ी के भाव बढऩा (पिछले ८ माह में शीशम की लकड़ी के भावों में १० प्रतिशत तक वृद्धि, आम-बबूल के भाव भी बढ़े )

शीशम पर प्रतिबंध ने भी बढ़ाई परेशानी जोधपुर से मुख्यत शीशम, आम व बबूल की लकड़ी के हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद निर्यात किए जाते है। कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एनडेंजर्ड ऑफ वाइल्ड फ ाउना एंड फ्लोरा (साईटस) ने २ जनवरी २१०७ को शीशम की लकड़ी से बने उत्पादों के व्यवसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया था। जिसके बाद शीशम की लकड़ी से बने हैण्डीक्राफ्ट के निर्यात के लिए वृक्ष सर्टिफिकेट की अनिवार्यता लागू की। चैनल डॉक्यूमेंट की पेचीदगी के कारण निर्यातकों को पेड़ की कटाई से लेकर फेक्ट्री पहुंचने तक के सभीे डॉक्यूमेंट देने होते है, जो निर्यातकों के लिए सबसे बड़ी परेशानी है।
परिणामस्वरूप केवल पिछले वित्तीय वर्ष में जोधपुर से १० वर्षो में पहली बार २०० करोड़ की कमी दर्ज की गई ।अमरीकन लकड़ी की किस्म यहां की कुछ लकडि़यों से मिलती-जुलती है व इन लकड़ी पर जोधपुर के हैण्डीक्राफ्ट्स को बनाया जा सकता है । अगर यहां के निर्यातक अमरीकन लकड़ी को पास कर देंगे तो इसके बाद अमरीका के टिम्बर व लकड़ी व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल जोधुपर आएगा व एसोसिएशन के सदस्य निर्यातकों से मिलेगा व सस्ती दरों पर लकड़ी उपलब्ध करवरने पर भी चर्चा करेगा ।
डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्ष जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन

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