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जोधपुर से रूठे मेहमां परिंदे, सितंबर का एक पखवाड़ा बीतने पर भी नहीं पहुंचे प्रवासी पक्षी

locationजोधपुरPublished: Sep 17, 2017 05:05:55 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

विसर्जन से जलाशय बदहाल हुए तो हम से रूठे जलपक्षी, पक्षी विशेषज्ञों ने जताई चिंता
 

Jodhpur is still awaiting arrival of migratory birds

Jodhpur is still awaiting arrival of migratory birds

वो खूबसूरत पंछी हर साल सात समंदर पार से झुंड में जोंधपुर आते थे, मगर जलाशयों में प्लास्टर ऑफ पेरिसत की मूर्तियों के विसर्जन के कारण तालाब बदहाल हो गए हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद मनुष्य के तो समझ में नहीं आई, मगर मूक पंछी जरूर समझ गए हैं। इन जलाशयों के किनारे ही उनका डेरा होता था, मगर अब हालात बदले तो प्रवासी पक्षी भी हमसे रूठ गए हैं। यही कारण है कि शीतकालीन प्रवास पर जोधपुर आने वाले प्रवासी पक्षियों ने जोधपुर में अब तक दस्तक नहीं दी है, जबकि सितम्बर का एक पखवाड़ा बीत चुका है। यह वही समय है, जब ये पंछी यहां डेरा डालते हैं। ध्यान रहे कि हर साल प्रवासी परिन्दों की करीब 15 प्रजातियां यहां आती हैं।
इस बार चूंकि ये पक्षी सितम्बर के पहले सप्ताह जोधपुर में दस्तक दे चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक पड़ाव नहीं डाला है, इसलिए उनकी बेरुखी देख कर पक्षी विशेषज्ञ बहुत चिंतित हैं। हर साल मेहमान प्रवासी पक्षी कुरजां के साथ सितम्बर के पहले पखवाड़े में वेबलर, टेलर, लार्क, इंडियन रोलर, बी-ईटर, पैलिकन, मालार्ड, पिन्टेल, स्पॉट बिल, पर्पल मुरहेन व शिकारी पक्षियों का जोधपुर जिले व शहर के आसपास के विभिन्न जलाशयों पर आगमन होता है, लेकिन इस बार तापमान के साथ जलाशय की स्थितियां भी अनुकूल नहीं होने के कारण विभिन्न प्रजातियों के जल पक्षियों ने इस जगह से मुंह फेर लिया है।
खींचन में नजर आई कुरजां


सितम्बर के पहले सप्ताह में जोधपुर के निकट गुढ़ा विश्नोइयां और सरदारसमंद के आस-पास नजर आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां भी अब तक यहां नजर नहीं आए हैं। जोधपुर जिले के एकमात्र फलौदी के खींचन गांव में सितम्बर के पहले पखवाड़े में कुरजां पक्षियों ने जरूर दस्तक दी है। पक्षी विशेषज्ञ व वैज्ञानिक पक्षियों के विलंब से पहुंचने के कारणों व स्थितियों पर नजर रखे हुए हैं।
ग्रुप लीडर तय करता है पड़ाव स्थल

सबसे आगे उडऩे वाला एक ग्रुप लीडर कुरजां समूह का नेतृत्व करता है, जो पड़ाव स्थल तय करने के लिए पहले मौके पर पहुंचता है। पड़ाव स्थल पर किसी भी तरह का खतरा, मौसम अथवा भोजन की अनुकूलता न होने पर ये पक्षी स्थान बदल देते हैं।
पक्षियों के अनुकूल नहीं जलाशय


इस बार जोधपुर के विभिन्न जलाशयों में प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों के विसर्जन के बाद कई प्रमुख जलाशयों की स्थिति में बदलाव आया है। उम्मेदसागर जलाशय में अभी तक मूर्तियों के अवशेष व पूजन सामग्री बिखरी पड़ी हुई है। पीओपी मूर्तियों के विसर्जन से मूर्तियों पर लगे रंग और रासायनिक पदार्थ से तालाब का पानी प्रदूषित होकर टॉक्सिक तत्वों से जलीय जीवों की जीवनचर्या में परिवर्तन लाते हैं। जल पक्षियों के भोजन चक्र में जलीय जीव प्रमुख आधार हैं। अच्छे मानसून के कारण जलाशयों पर मवेशियों की संख्या में इजाफा होने के कारण पक्षियों का पड़ाव प्रभावित होता है।
जलाशयों में मूर्ति विसर्जन का चलन बढ़ा

शहरी क्षेत्र के साथ गांवों में भी महाराष्ट्र की तर्ज पर जलाशयों में गणपति विसर्जन की संख्या बढ़ी है। अब गुजराती संस्कृति की तर्ज पर मां दुर्गा की पीओपी मूर्तियों के समक्ष गरबा खेल बढ़ा है। ऐसे में पीओपी मूर्तियों की जगह धातुओं की मूर्तियों का उपयोग जलाशयों, जलीय जीवों और प्रवासी पक्षियों का संरक्षण कर सकता है। – डॉ. हेमसिंह गहलोत, वन्यजीव व पक्षी विशेषज्ञ
नहीं लिया सबक, गरबा स्थलों की पीओपी मूर्तियां बनेंगी परेशानी

जिला प्रशासन ने 5 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी के दिन शहर के विभिन्न जलाशयों में पीओपी निर्मित गणपति की विशाल मूर्तियों को विसर्जन करने में रोकने से नाकाम रहने के बाद भी कोई सबक नहीं लिया है। शारदीय नवरात्रा के दौरान शहर में जगह जगह गरबा पूजन पंडालों में भी पीओपी मूर्तियां स्थापित की तैयारियां जोरों पर है। शहर के विभिन्न गली- मोहल्लों और कॉलोनियों में करीब 500 से अधिक नवरात्रा पंडालों में विराजित होने वाली मूर्तियां भी विजयदशमी के दिन शहर के प्रमुख जलाशयों में विसर्जित की जाएंगी।

एनजीटी की ओर से रोक

नेशनल ग्रीन टिब्युनल ने 18 अगस्त 2015 को सुभाष पाण्डे बनाम नगर निगम भोपाल व अन्य मामले में पारित निर्णय और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मूर्ति विसर्जन के संदर्भ में जारी दिशा निर्देशों में प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों के जलाशय में विसर्जन पर रोक लगाई थी।
जोधपुर से मुंह मोड़ सकते हैं पैलिकन के समूह


जोधपुर के सबसे महवपूर्ण वेटलैंड में जहर रूपी ऑइल पेंट और अन्य कैमिकल से पक्षियों व जलीय जीवों को खतरा पैदा हो गया है। जिन तालाबों पर विसर्जन पर अंकुश रहा, वहां गत वर्ष तीन सौ पैलिकन एक साथ पहुंचे थे। जोधपुर के जलाशयों पर स्पून बिल और बत्तखों की दस प्रजातियां नजर आईं। यदि जिला प्रशासन वेटलैण्ड की रक्षा कर पीओपी निर्मित मूर्तियों का विसर्जन रोकता है तो पैलिकन की संख्या में रिकार्ड बढ़ोतरी संभव है। विसर्जन और अतिक्रमण के कारण उम्मेदसागर पहले ही पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। खनन क्षेत्र में पानी भराव वाली बंद हो चुकी पत्थर की खानों में मूर्तियों का विसर्जन विकल्प हो सकता है। मछलियों से भरापूरा रहने वाला पदमसर विगत आठ वर्षों से लगातार मूर्तियों के विसर्जन के कारण प्रदूषित हुआ, जिससे मछलियां खत्म हो गईं। सितम्बर के प्रथम सप्ताह में जोधपुर में नजर आने आने वाले स्टार्क, स्पून बिल, आइबीज, फग्र्युसन डक, कोर्मरेंट पक्षी व कॉमन किंग फि शर इस बार नदारद हैं। यदि प्रशासन ने तालाबों की ओर ध्यान नहीं दिया तो प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट के साथ भूमिगत जल भी विषाक्त हो सकता है। – शरद पुरोहित, पक्षी विशेषज्ञ जोधपुर
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