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कृषि विश्वविद्यालय के अनूठे हैं कुलपति, प्रशासनिक कार्यों के साथ ले रहे हैं क्लास

locationजोधपुरPublished: Jan 15, 2018 03:11:02 pm

फिलहाल वे एमएससी की कक्षा लेते हैं।

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जोधपुर . एक एेसे कुलपति जो विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों के साथ अध्यापन भी करते हैं। अधिकांश कुलपतियों ने जहां कक्षा की शक्ल भी नहीं देखी होगी, इसके उलट मण्डोर कृषि विवि के कुलपति कक्षा में जाकर नियमित कालांश लेते हैं और छात्रों की समस्याओं का कक्षा के भीतर ही समाधान कर देते हैं। हम बात कर रहे हैं डॉ. बलराज सिंह की। डॉ. सिंह ने विवि के शिक्षकों की कक्षा समय सारणी में अपने आपको भी कक्षाएं आवंटित कर रखी है और कालांश का समय होने पर वे कक्षा में होते हैं। फिलहाल वे एमएससी की कक्षा लेते हैं।
डॉ. सिंह मार्च २०१६ में विवि के कुलपित नियुक्ति हुए। करीब दो साल के कार्यकाल में इन्होंने विवि का कायापलट कर दिया है। दो कमरों में संचालित मण्डोर कृषि विवि को इन्होंने नए भवन में तब्दील कर दिया। सुमेरपुर में नई इमारत बनाई और नागौर में भवन निर्माणाधीन है। डॉ. सिंह केंद्र से ३५ करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट अपने दम पर ला चुके हैं। वे खुद ही प्रोजेक्ट बनाते हैं और उन्हें संबंधित एजेंसियों के सामने प्रस्तुत भी करते हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत सात रिसर्च प्रोजेक्ट और सात डवलमेंटल प्रोजेक्ट लाए हैं।
बाजरे व तिल की नई वैरायटी


कुलपति डॉ. बलराजसिंह ने बताया कि मण्डोर कृषि विवि को शुरू हुए पांच साल हो गए हैं। विवि के करीब १४० पदों में से महज २५ कार्मिक होने के बावजूद विवि का बेहतरीन संचालन किया जा रहा है। विवि ने बाजरे की एमपीएमएस-१७ और एमपीएमएच-२१ संकर वैरायटी विकसित की है जिससे उत्पादन अधिक होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है। तिल की आरटी-३४६ और आरटी-३५१ वैरायटी तैयार की गई है।
न चपरासी, न गार्ड

प्रो. सिंह विवि के क्वार्टर में अकेले ही रहते हैं। उनकी पत्नी कमलेश सिंह आईआईटी दिल्ली में मनोविज्ञान की प्रोफेसर है। कुछ दिनों के अंतराल पर वे उनसे मिलने दिल्ली जाते हैं। यहां कुलपति निवास पर न तो चपरासी और न ही सुरक्षाकर्मी तैनात है। प्रो. सिंह विवि आने से पूर्व खुद ही कुलपति निवास पर ताला लगाते हैं और शाम को स्वयं ही ताला खोलते हैं। खाना बनाने के लिए कुक जरूर आता है। वे कुलपति निवास से विवि पैदल ही आते-जाते हैं।
हरियाणा के निवासी है प्रो. सिंह


हरियाणा के झझर जिले में देहकुरा गांव के रहने वाले हैं। इनकी स्कूलिंग दिल्ली में हुई है। हाई स्कूल सोनीपत से पूरी की। कृषि विज्ञान में बीएससी मेरठ से पूरी हुई। एमएससी मुज्जफरनगर से की। सब्जी विज्ञान में पीएचडी हिसार से हुई। बलराज सिंह की पहली नौकरी भरतपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में लगी। उन्होंने आठ महीने की नौकरी में कृषि विज्ञान केंद्र को पूरी तरीके से स्थापित कर दिया। वर्ष १९९८ में वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक बन गए। वे दिल्ली स्थित पूसा में पहले इण्डो-इजराइल प्रोजेक्ट के समन्वयक रहे।
प्रो. सिंह ने इजराइल के साथ काम किया। वर्ष २००८ से २०१२ में अजमेर स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र के निदेशक नियुक्त हुए। केंद्र सरकार ने ३ मार्च को प्रो. बलराज सिंह को देश का उद्यानिकी आयुक्त नियुक्त किए। एक सप्ताह बाद १० मार्च को राजस्थान के राज्यपाल ने उनको कृषि विश्वविद्यालय मण्डोर का दूसरा कुलपति नियुक्ति किया। प्रो. सिंह ने जोधपुर आकर कुलपति का कार्यभार संभाला। प्रो. सिंह के दो बेटे हैं। दोनों ही अमरीका में अध्ययनरत है।
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