दरअसल, कोई भी काम में टैंडर लगाने से पहले प्रशासनिक, वित्तीय व तकनीकी स्वीकृति जारी होती है। वित्तीय स्वीकृति एस्टीमेट के आधार पर तय होती है। कई बार मौके पर सिविल कार्यों में सडक़ निर्माण पर सीवरेज क्षतिग्रस्त मिलती है। एेसे में अब अधिक व अतिरिक्त कार्य से पहले आयुक्त की अनुमति लेनी होगी। निगम सूत्रों का कहना है कि स्वायत्त शासन विभाग के शैड्यूल ऑफ पॉवर के तहत दस प्रतिशत अतिरिक्त व अधिक कार्य कर सकते हैं। वहीं वित्त विभाग के तहत पांच प्रतिशत अधिक व अतिरिक्त कार्य करवा सकते है। अधिक तो पांच से पचास प्रतिशत तक करवाया जा सकता है। ये वे आइटम है, जो शैड्यूल शामिल है। जो शैड्यूल में नहीं है, उन्हें अतिरिक्त माना जाता है। निगम में एेसा हो रहा है कि काम पहले करवाया जा रहा है और फिर स्वीकृति ली जा रही है। इसलिए अब पहले स्वीकृति लेनी होगी। दूसरी ओर जिम्मेदार कह रहे है कि फील्ड में इस तरह संभव नहीं रह