जोधपुर

जोधपुर का ये एजुकेशन हाईवे बनता जा रहा है मौत का रास्ता, 8 किलोमीटर में हैं 20 एक्सीडेंटल जोन

इससे 10 दिन पहले इसी जगह एक युवक की भी हादसे में मौत हुई थी।

जोधपुरAug 10, 2018 / 10:01 am

Harshwardhan bhati

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रणवीर चौधरी/जोधपुर. जोधपुर-नागौर नेशनल हाईवे 65 ने देशभर में एजुकेशन हाईवे के रूप में पहचान बनाई है। इस मार्ग पर चार विश्वविद्यालय और तीन राष्ट्रीय स्तर के संस्थान हैं। इनमें हजारों छात्र पढ़ते हैं। इस सब के बावजूद मंडोर और उससे आगे तक यह मार्ग एक्सीडेंट जोन बन गया है। इसका मुख्य कारण रोड पर कहीं भी स्पीड ब्रेकर, रोड लाइट, नाइट ब्लिंकर, साइन बोर्ड नहीं होना है। इसी लापरवाही के कारण एफडीडीआइ की छात्रा की बुधवार रात ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई। इससे 10 दिन पहले इसी जगह एक युवक की भी हादसे में मौत हुई थी। वाहनों की टक्कर से घायल होने के मामले तो दर्जनों हैं।
8 किलोमीटर रोड पर 20 से ज्यादा एक्सीडेंट जोन

शहर में भदवासियां ओवरब्रिज से एनएलयू तक करीब आठ किलोमीटर लंबी रोड पर 20 से ज्यादा एक्सीडेंट जोन हैं। इनमें पिछले ढाली साल में 38 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से निंबा निंबड़ी रेलवे फाटक, मांडोर ओवरब्रिज, मंडोर पुलिस चौकी के सामने, ठाकुर वीरेंद्र नगर, नागौरी बेरा मोड़, आरपीटीसी मोड, भदवासिया ओवरब्रिज सहित आठ मुख्य एक्सीडेंट जोन हैं। यहां आए दिन सड़क हादसों में लोग घायल हो रहे हैं या जानें जा रही है। नेशनल हाइवे होने के कारण रोड पर स्पीड ब्रेकर नहीं है।
निंबा निंबड़ी क्रॉसिंग

फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट संस्थान (एफडीडीआइ) के सामने निंबा निबड़ी रेलवे फाटक है। कॉलेज में जाने के लिए छात्रों को रोड पार करनी पड़ती है। यहां रोड पर स्पीडब्रेकर, रोड लाइट, सर्विस लाइन नहीं हैं। गोलाई में डिवाडर का कट होने के कारण खतरा और बढ़ जाता है। यही कारण है कि 10 दिनों में दो मौतें हो चुकी हैं।
मंडोर ओवरब्रिज पर खतरे का मोड़


मंडोर निवासी मनीष रांकावत ने बताया कि मंडोर ओवरब्रिज के निर्माण के समय सबसे बड़ी खामी इसका मोड़ है। यहां रात के समय वाहन अचानक मोड़ के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। दस दिन पहले ही एक कार रात को मोड़ पर अनियत्रिंत होकर डिवाइडर से टकरा गई थी। गनीमत रही कि हादसे में ड्राइवर की जान बच गई, लेकिन चार साल पहले होली के दिन दो बाइक सवार युवकों की मोड पर ब्रिज से नीचे गिरने पर मौत हो गई थी।
वीरेंद्र नगर रोड

ठाकुर वीरेंद्र नगर निवासी कैलाश गहलोत ने बताया कि कई मकान बनने के कारण रोड संकरी हो गई है। कोर्ट के स्टे के कारण इसको चौड़ा करने का काम अटका हुआ है। कॉलोनी की गलियां सीधे रोड के पास आकर खुलती हैं। रोड लाइट, स्पीड ब्रेकर नहीं होने के कारण गलियों से निकलने वाले वाहन मुख्य सड़क पर चल रहे वाहनों से टकरा जाते हैं। करीब नौ माह पहले गली से मुख्य सड़क पर आते समय टेंट व्यवसायी की अज्ञात वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई। इससे पहले एक बच्ची और दो अन्य लोगों की इसी प्रकार हादसे में मौत हो गई थी।
आरपीटीसी मुख्य गेट, मौत का मोड़

आरपीटीसी के मुख्य गेट से आगे घुमाव मौत का मोड़ बन चुका है। मोड़ के आस पास घने पेड़ होने के कारण सामने आने वाले वाहन नहीं दिखाई नहीं देते हैं और स्पीड ब्रेकर नहीं होने के कारण आपस में भिड़ जाते हैं। गत माह इसी कारण दवाइयों से भरा टैक्टर पलट गया था। चार साल पहले कपड़े के बॉक्स से भरा ट्रक मोड़ पर पलट गया था। इस दौरान मॉर्निंग वॉक पर निकले शिक्षक की बॉक्स के नीचे दबने से मौत हो गई थी।
हजारों छात्रों की जान जोखिम में


जोधपुर-नागौर रोड एजुकेशन हब हैं। जहां आइआइटी, एनएलयू, एनआइएफटी, एफडीडीआइ, कृषि विश्वविद्यालय, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय और सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय हैं। इनमें देशभर के हजारों छात्र पढ़ते हैं। छात्रों को जान जोखिम में डालकर पढऩे जाना होता है।
ढाई साल में 38 की मौत


मंडोर थाना क्षेत्र में वर्ष 2016 में 39 सड़क हादसे हुए। इनमें 14 लोगों की मौत, 20 घायल हुए। वर्ष 2017 में 44 सड़क दुर्घटनाओं में 21 लोगों की मौत, 48 घायल हुए। वर्ष 2018 में जनवरी से जून तक 14 सड़क दुर्घटनाओं में 3 की मौत हुई व 14 लोग घायल हुए।
 

स्पीडब्रेकर लगाने की मांग

गत वर्ष नेशनल हाईवे के प्रोजेक्टर इंजीनियर, नगर निगम में कई बार स्पीडब्रेकर, कॉलेज के सामने बस स्टॉप लगाने की मांग की थी। फरवरी व अप्रेल में फिर संपर्क किया, लेकिन केवल आश्वासन मिला। स्पीड ब्रेकर या बस स्टॉप बनता तो छात्रा की जान बच जाती।
नीरज चौधरी, डिप्टी मैनेजर, एडमिन एफडीडीआइ

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