जोधपुर और जयपुर से अपनी शिक्षा प्राप्त करने के दौरान ही क्षितिज ने थिएटर से जुडकऱ अभिनय की शुरुआत की। कॉलेज में डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिसमें क्षितिज ने जयपुर के प्रसिद्ध कुंदन-मीना आभूषणों से संबंधित डॉक्यूमेंट्री बनाई, जो वल्र्ड क्राफ्ट काउंसिल में सिलेक्ट की गई।
स्ट्रगल के दौर में उसने कई प्रोडक्शन हाउस को ईमेल कर काम मांगा। कहीं से कोई जवाब नहीं आया। इस बीच एक मूवी के लिए काम किया लेकिन वह मूवी रिलीज नहीं हो पाई। इस मूवी के अन्य सदस्यों के साथ खुद की लिखी एक शॉर्ट मूवी बनाने का आइडिया आया। सभी ने इसमें योगदान दिया और मात्र 1500 रुपए में शॉर्ट मूवी वोट का निर्माण किया। बीकानेर में आयोजित एक फिल्म फेस्टिवल में इसे प्रथम स्थान मिला। यहां से क्षितिज की पहचान बननी शुरू हुई।
सेकेंड असिस्टेंट के तौर पर निर्देशन के क्षेत्र में पैर जमाने की शुरुआत करने वाले क्षितिज ने कई वेब सीरीज, म्यूजिक वीडियोज, विज्ञापन व यू-ट्यूब विज्ञापन आदि का निर्देशन किया है। शुरुआती दौर में अक्षयकुमार की फिल्म गब्बर-इस बैक में भी निर्देशन में असिस्ट किया। साथ ही हॉलीवुड मूवी द आश्रम के निर्देशन में असिस्टेंट रहे। इन सब के बाद ही यशराज बैनर से जुडऩा हुआ। लखावत ने बताया कि एग्रीकल्चर से जुड़े पिता श्वेतकमल लखावत और गृहिणी माता विजयलक्ष्मी पहले उसके निर्णय को लेकर आशंकित थे लेकिन बड़े बैनर से जुडऩे के बाद उन्होंने क्षितिज का साथ दिया।