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जोधपुर

प्रदेश का इकलौता शहर जोधपुर जहां लाखों खर्च कर भूजल निकालते हैं, फिर बहाना पड़ता है नाले में

15 हजार परिवारों की प्यास बुझे उतना पानी बहाते हैं व्यर्थ
 

जोधपुरFeb 15, 2019 / 03:45 pm

Harshwardhan bhati

wastage of water in jodhpur

प्रदेश का इकलौता शहर जोधपुर जहां लाखों खर्च कर भूजल निकालते हैं, फिर बहाना पड़ता है नाले में

अविनाश केवलिया/जोधपुर. भूजल संकट गहराने की बात तो आपने सुनी होगी लेकिन यह जानकार कइयों को हैरत होगी कि भूजल बढऩे के कारण भी संकट हो सकता है। संकट भी ऐसा कि प्रतिदिन करीब 40 हजार परिवार को पिलाने जितना पानी जमीन से निकल रहा है लेकिन वह पीने के उपयोग में नहीं आ सकता। खास बात यह है कि इनमें से 15 हजार परिवार जितना पानी उपयोग में ले सकते हैं, उतना तो नाले में बहा दिया जाता है। पिछले एक दशक की इस समस्या के समाधान के लिए अब राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के भूजल मंत्रालय से गुहार लगाई है।
जोधपुर शहर के कई हिस्सों में पिछले एक-डेढ़ दशक से भूजल स्तर लगातार बढ़ रहा है। पहले इस समस्या को हल्के में लिया गया। लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या विकराल होती गई। अब समाधान के नाम पर प्रतिमाह करीब ढाई से तीन लाख रुपए तक व्यय किए जा रहे हैं। 10 पम्प लगाकर करीब 10 साल पहले इस समस्या के समाधान की शुरुआत की गई लेकिन अब हालात यह है कि वर्तमान में 104 पम्प लगाकर प्रतिदिन 8 घंटे तक 33 एमएलडी (मिलियन लीटर डे) पानी भूमि के नीचे से निकाला जा रहा है।
जलस्रोतों पर लगे हैं पम्प

जलदाय विभाग ने शहर के प्राचीन जलस्रोतों व तालाबों पर यह पम्प लगा रखे हैं। इनमें से कुछ जलस्रोत जिनका पानी पीने के अलावा अन्य उपयोग में आ सकता है, वह उस जलस्रोत के आस-पास के क्षेत्र में एकांतर दिवस पर सप्लाई किया जाता है। लेकिन काफी मात्रा में पानी ऐसा भी है जो न तो मनुष्य के लिए काम आ रहा है और ना ही पौधों के, उसे सीवरेज के साथ व्यर्थ बहाया जा रहा है।

केन्द्र सरकार से मदद

इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने बीते दिनों केन्द्रीय भूजल मंत्रालय से मदद मांगी है। एक विशेष वैज्ञानिकों की टीम की मांग की गई है जो भूजल बढऩे का स्रोत व इसके सही उपयोग पर रिपोर्ट तैयार कर सके। हालांकि जलदाय विभाग व रीको मिलकर शहर में एक प्लान 18 एमएलडी पानी को औद्योगिक उपयोग के लिए कुड़ी हौद तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।
एक नजर में भूजल का गणित
– 104 स्थानों पर लगे हैं जलदाय विभाग के पम्प
– 33 एमएलडी पानी प्रतिदिन निकाला जाता है जोधपुर से
– 49 पम्प से निकाला 15 एमएलडी पानी प्रतिदिन होता है जल वितरण में उपयोग
– 16 पम्प से निकाला 6 एमएलडी पानी उद्यानों की सिंचाई में होता है उपयोग
– 39 पम्प का 12 एमएलडी प्रतिदिन बहाया जाता है सीवरेज में यह है शहर का गणित
– 200 एमएलडी है जोधपुर शहर की डिमांड
– 2.5 लाख लोगों के घरों में सप्लाई होता है यह पानी
– 33 एमएलडी भूजल जो निकाला जाता है वह 40 हजार घरों में हो सकता है सप्लाई
– 15 हजार परिवारों को पिलाने जितना 12 एमएलडी पानी बहाना पड़ता है सीवरेज में
इनका कहना है

पम्प के जरिए जो भूजल निकाला जाता है, उनमें से आधा तो संबंधित क्षेत्र में सप्लाई में उपयोग में लेते हैं। कुछ पानी की गुणवत्ता सप्लाई लायक नहीं है इसलिए उसे सीवरेज का बहाना पड़ता है।
– दिनेश पेडीवाल, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जोधपुर
यूं समझें पानी की बर्बादी की कहानी
– 104 पम्प शहर में लगा रखे हैं जलदाय विभाग ने शहर के जलस्रोतों पर
– 33 एमएलडी के करीब पानी प्रतिदिन निकाला जाता है जलस्रोतों से
– 12 एमएलडी बहाना पड़ता है व्यर्थ

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