केन्द्र सरकार से मदद इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने बीते दिनों केन्द्रीय भूजल मंत्रालय से मदद मांगी है। एक विशेष वैज्ञानिकों की टीम की मांग की गई है जो भूजल बढऩे का स्रोत व इसके सही उपयोग पर रिपोर्ट तैयार कर सके। हालांकि जलदाय विभाग व रीको मिलकर शहर में एक प्लान 18 एमएलडी पानी को औद्योगिक उपयोग के लिए कुड़ी हौद तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।
– 104 स्थानों पर लगे हैं जलदाय विभाग के पम्प
– 33 एमएलडी पानी प्रतिदिन निकाला जाता है जोधपुर से
– 49 पम्प से निकाला 15 एमएलडी पानी प्रतिदिन होता है जल वितरण में उपयोग
– 16 पम्प से निकाला 6 एमएलडी पानी उद्यानों की सिंचाई में होता है उपयोग
– 39 पम्प का 12 एमएलडी प्रतिदिन बहाया जाता है सीवरेज में यह है शहर का गणित
– 200 एमएलडी है जोधपुर शहर की डिमांड
– 2.5 लाख लोगों के घरों में सप्लाई होता है यह पानी
– 33 एमएलडी भूजल जो निकाला जाता है वह 40 हजार घरों में हो सकता है सप्लाई
– 15 हजार परिवारों को पिलाने जितना 12 एमएलडी पानी बहाना पड़ता है सीवरेज में
– दिनेश पेडीवाल, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जोधपुर
– 104 पम्प शहर में लगा रखे हैं जलदाय विभाग ने शहर के जलस्रोतों पर
– 33 एमएलडी के करीब पानी प्रतिदिन निकाला जाता है जलस्रोतों से
– 12 एमएलडी बहाना पड़ता है व्यर्थ