नेत्रवी-2 नामक इस ड्रोन की क्षमता चार सौ मीटर ऊंचाई और चार किमी परिधि तक की है। इसमें एक कैमरा भी लगा है, जो आवश्यकता के हिसाब से वीडियो व फोटो ले सकेगा। ड्रोन में दस से बारह जीपीएस लगे हुए हैं, जो इसकी सटीक लोकेशन भी बताता है। ड्रोन का पायलट यानि संचालक कम्युनिकेशन सेंटर में कम्प्यूटर से परिस्थिति के अनुसार ऑपरेट कर के ड्रोन नीचे तक ला कर वीडियो रिकॉर्डिंग कर सकता है। इससे संवेदनशील क्षेत्रों के मकानों की रैकी भी की जा सकेगी।
ड्रोन संचालन के लिए पुलिस मुख्यालय ने बाकायदा हर रेंज मुख्यालय से दो कांस्टेबलों को प्रशिक्षण दिया है। जोधपुर से कांस्टेबल राजेश मीणा को बतौर पायलट और कंवराजदान को सह-पायलट का प्रशिक्षण दिया गया है। सह-पायलट ड्रोन उड़ाने व नीचे उतारने का काम करता है। जबकि पायलट कम्प्यूटर पर उसकी उड़ान पर नजर रखने का कार्य करेगा।
– नेत्र वी-2 नामक ड्रोन की बैटरी चालीस मिनट तक उड़ान भर सकती है। – बैटरी खत्म होने से चार मिनट पहले यदि ड्रोन उसी स्थान पर स्वत: लौट आता है, जहां से उसने उड़ान भरी थी।
– निर्धारित क्षमता से अधिक हवा या आंधी चलने पर भी ड्रोन स्वत: ही उड़ान भरने वाले स्थल तक लौट आता है।
– यदि कोई क्षेत्र बाढग़्रस्त है और पानी या नदी में फंसे लोगों की संख्या का पता लगाना है तो ऐसी स्थिति में ड्रोन उपयोगी साबित होगा।