scriptखुद आत्मनिर्भर बनी, फिर 15 हजार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर | jodhpur woman powar | Patrika News

खुद आत्मनिर्भर बनी, फिर 15 हजार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

locationजोधपुरPublished: Aug 08, 2020 07:19:48 pm

Submitted by:

Om Prakash Tailor

पति फौज में थे मन लगा रहे इसलिए सिलाई-कढ़ाई सीखी, अब सालाना 8-10 लाख से का टर्नओवर- घर पर ही बनाते हैं बेड कवर, बेड शीट, तकिए कवर, मारवाड़ी गुदड़ी आदि- दिल्ली, बैंगलोर, महाराष्ट्र, कलकत्ता तक जाता है माल

खुद आत्मनिर्भर बनी, फिर 15 हजार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

खुद आत्मनिर्भर बनी, फिर 15 हजार महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

ओम टेलर. जोधपुर
पति फौज में थे, पारिवारिक कारण से वे जोधपुर में घर पर ही रही। मन लगा रहे इसलिए सिलाई-एंब्रॉइडरी का काम सीखा। धीरे-धीरे लोगों को मेरा काम पसंद आने लगा तो कुछ महिलाओं को जोड़ा तथा उन्हें भी काम सिखाया। आज स्थिति यह कि सालाना 8 से 10 लाख का टर्नओवर है। करीब 15 हजार महिलाओं को काम सिखाया। वे महिलाएं भी अब घर पर काम कर इतना कमा लेती है कि परिवार के लोग भी उन पर फर्क करते हैं। हम बात कर रहे हैं सृष्टि सेवा सम्बल स्वयं सहायता समूह संचालित करने वाली प्रेमवती की। जिनकी सफलता के पीछे की संघर्ष की कहानी भी काफी लम्बी रही। प्रेमवती ने बताया कि पति फौज में थे। सास की सेवा करने के लिए वह बीजेएस में किराए के मकान में रहती थी। घर पर मन लगा रहे इसलिए वर्ष 1997 में बेड शीट, बेड कवर, तकिया कवर, पद्दे, टेबल कवर आदि की सिलाई करना शुरू किया लेकिन बिक्री कमी थी। फिर उन्हें आकर्षक बनाने के लिए हाथ से उन पर एंब्रॉइडरी करना शुरू किया। जो लोगों को पसंद आ गए। डिमांड बढ़ी तो मोहल्ले की अन्य महिलाओं को जोडऩा शुरू किया लेकिन अधिकतर महिलाओं के पतियों द्वारा विरोध किया गया तथा उन्हें सीखने के लिए मेरे घर नहीं भेजा गया। कुछ महिलाएं जुड़ी जिन्हें काम सिखाकर आत्मनिर्भर बनाया। उनकी आमदानी शुरू हुई तो विरोध करने वाले परिवार के लोग भी अपनी पत्नियों को काम सीखने भेजने लगे।

मेलेे में लगाने लगे स्टॉल
महिला अधिकारिता विभाग की ओर से आयोजित होने वाले अमृता हाट बाजार में अपनी ओर से बनाए गए उत्पादों की स्टॉल लगाना शुरू किया। आज स्थिति यह हैं कि दिल्ली, बैंगलोर, महाराष्ट्र, कलकत्ता तक उनके हाथ से बनाए गए डिजाइनर बेड शीट, बेड कवर, तकिया कवर, पद्दे, टेबल कवर, मारवाड़ी गुदड़ी बिकने के लिए जाती है। उन्होंने बताया कि सालाना करीब आठ से दस लाख का माल बिक जाता हैं।

कॉलेज विद्यार्थियों को भी दी ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि करवड़ स्थित एनआईएफटी (निफ्ट) में इंटर्नशिप करने आने वाले विद्यार्थियों को भी हेण्ड एंब्रॉयडरी, पेच वर्क आदि का काम सिखाया। इसके साथ ही रोहतक एसडीडीआई के विद्यार्थियों सहित ब्राजिल से आई एक छात्रा को भी हेण्ड एंब्रॉयडरी, पेच वर्क का कार्य सिखाया।

महिला सशक्तिकरण को लेकर मिले सम्मान
महिला सशक्तिकरण को लेकर काम करने वाले एसडब्ल्यूईआई संस्था भारत सरकार द्वारा 26-27 फरवरी 2020 में जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में सम्मान समारोह हुआ। जिसमें महिला सशक्तिरण को लेकर जोधपुर की प्रेमलता को भी सम्मानित किया गया। इसके साथ ही पश्चिमी राजस्थान उद्योग हस्तशिल्प उत्सव 2020 के दौरान भी सम्मानित हुई। प्रदेश के मुख्यमंत्री के हाथों भी दो बार सम्मानित हो चुकी हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो