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वार्डन नहीं होने पर गर्ल्स हॉस्टल के लगे ताले, छात्राएं हो रही परेशान

locationजोधपुरPublished: Jul 04, 2019 08:24:53 pm

जोधपुर के कमला नेहरू गर्ल्स कॉलेज स्थित हॉस्टल का मामला

Kamala Nehru girls collage in Jodhpur

Kamala Nehru girls collage in Jodhpur

जेके भाटी/जोधपुर. कमला नेहरू गर्ल्स कॉलेज स्थित हॉस्टल के ताले लगे होने से छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रवेश सूची जारी होने के बाद बाहर से आकर कॉलेज में स्टडी करने वाली फर्स्ट ईयर की हर एक छात्रा चाहती है उसको कॉलेज के हॉस्टल में ही एडमिशन मिल जाए।
वे अपने अभिभावक के साथ अन्दर से हॉस्टल देखने आ रही है, लेकिन हॉस्टल के ताले लगे होने से परेशान होकर वापस लौट रही हैं। वहीं पहले से हॉस्टल में रह रही छात्राएं परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद वापस कॉलेज लौट रही है, उन्हें भी ताले लगे होने से परेशानी उठानी पड़ रही है।
इस वजह से लगा है ताला
केएन गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल की वार्डन बीना भाटिया 31 जुलाई को सेवानिवृत हो रही है। उन्होंने 30 जून को ही वार्डन पद छोड़ दिया। साथ ही उन्होंने वार्डन हाउस भी खाली कर दिया। जेएनवीयू कुलपति की ओर से उनके स्थान पर नए वार्डन को नहीं लगाने से ये पद रिक्त पडा है। जिस कारण वार्डन हाउस व हॉस्टल के ताले लगा दिये गए है।
हॉस्टल में ये है सुविधाएं
हॉस्टल में सुरक्षा के लिए दोनों गेट पर रात में गार्ड रहता है। छात्राओं को गेट पास लेकर ही बाहर निकलने दिया जाता है। हॉस्टल कॉरिडर में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। बाहर जाने वाली छात्राओं के लिए रजिस्टर में एंट्री करना आवश्यक है। प्रत्येक वर्ष की छात्रा के लिए परीक्षा के तीन दिन बाद कमरा खाली करना अनिवार्य है। हॉस्टल में मेस की सुविधा हैं। हॉस्टल परिसर में दो कॉमन रूम हैं। इनमें छात्राओं को टीवी व इंडोर गेम्स की सुविधाएं दी जा रही हैं।
मेरिट से अलॉट होते रूम
यहां छात्राओं को कमरे भी बारहवीं की मेरिट पर अलॉट होते हैं। हर साल छात्राओं का रूम चालान रिन्यू होता है। साइंस, कॉमर्स व आर्टस फैकल्टी की छात्राओं की अलग से मेरिट लिस्ट बनती है और उसी के आधार पर उन्हें रूम दिया जाता हैं। फर्स्ट ईयर की छात्राओं के लिए 50 सीटें है। जबकि यहां कुल 160 सीटें ही हैं। इसके चलते बड़ी संख्याा में छात्राओं को बाहर रूम लेकर रहना पड़ता हैं।
छात्राओं की पहली पसंद कॉलेज हॉस्टल
छात्राएं पीजी या रूम रेंट पर लेकर रहने की बजाय कॉलेज हॉस्टल में रहना ज्यादा पसंद करती है। इसकी सबसे बड़ी वजह हॉस्टल में रहने का महीने का खर्च मात्र दो से ढाई हजार पड़ता हैं। सेफ्टी भी पूरी रहती हैं। बिजली-पानी के बिल की टेंशन नहीं रहती। वहीं स्टडी का भी माहौल मिलता हैं, जबकि पीजी या रूम रेंट पर लेकर रहने में महीने का खर्च 5 हजार के आसपास बैठता है। सेफ्टी की गारंटी नहीं होती। मेस की सुविधा भी नहीं मिलती। वहीं हॉस्टल कैम्पस में ही स्थित होने के कारण आने-जाने में समय की बचत भी होती हैं।
इनका कहना है-
मेरी सेवानिवृति नजदीक होने से मैंने हॉस्टल वार्डन का पद छोड़ दिया। साथ ही वार्डन हाउस भी खाली कर दिया। जिसके चलते हॉस्टल के ताला लगा हुआ हैं। कुलपति शीघ्र ही नए वार्डन की नियुक्ति कर देगें। तब तक ठेकाकर्मी को हॉस्टल के आवेदन लेने के लिए लगाया गया हैं।
-बीना भाटिया, निदेशक व पूर्व वार्डन, केएन गर्ल्स कॉलेज
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