भोपालगढ़ क्षेत्र के खेड़ी चारणान गांव निवासी कालूराम जाखड़ पुत्र गंगाराम जाखड़ 28 अप्रेल 1994 को भारतीय सेना की 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही के पद पर सेना में भर्ती हुए थे। चार-साढे चार साल बाद ही उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर इलाके में हो गई थी। कुछ समय बाद ही करगिल का युद्ध शुरू हो गया था। कालूराम करगिल की पहाड़ी पर करीब 17850 फीट की ऊंचाई पर पीपुल-2-तारा सेक्टर में अपनी रेजिमेंट के साथ तैनात थे। इस दौरान 4 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सेना ने उनकी रेजिमेंट पर हमला बोल दिया। एक बम का गोला कालूराम के पैर पर आकर लगा और उनका पैर शरीर से अलग ही हो गया था। इसके बावजूद भी कालूराम दुश्मनों से लड़ते रहे और अपने रॉकेट लांचर से दुश्मनों का एक बंकर ध्वस्त कर उसमें छिपे 8 घुसपैठियों को मार गिराया।
जिस दिन शहीद, उसी दिन लिखा मां के नाम खत
कालूराम जाखड़ जिस दिन शहीद हुए थे, उसी दिन सुबह उन्होंने अपनी मां को एक चि_ी भेजी थी। उन्होंने लिखा था कि मां तुम मेरी चिंता मत करना। तेरे बेटे के नाम का शिलालेख गांव में लगेगा और तेरे बेटे को एक दिन पूरी दुनिया जानेगी कि कैसे वह दुश्मनों से लड़ा था। कालूराम का यह पत्र उनके जीवन का आखरी खत बनकर रह गया।
शहीद कालूराम की शहादत को अमर करने के लिए गांव के लोगों ने भी हरसंभव सहयोग किया। गांव के बीच स्थित सरकारी विद्यालय के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां पर शहीद के परिजनों ने करीब सवा तीन लाख रुपए की लागत से शहीद की आदमकद प्रतिमा स्थापित की। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से गांव के सरकारी विद्यालय का नाम भी शहीद कालूराम जाखड़ के नाम पर कर दिया। शहीद के आखरी खत के अनुरूप उनके नाम का शिलालेख भी प्रतिमा स्थल पर स्थापित किया गया।