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जसोल हादसे का मंजर बताते हुए छलक पड़ी कथावाचक की आंखे, कहा भागो लेकिन तब तक देर हो गई

locationजोधपुरPublished: Jun 24, 2019 10:06:28 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

बाड़मेर जिले में बालोतरा क्षेत्र के जसोल में ( Pandal Collapse in Barmer ) रविवार को रामकथा के दौरान तेज आंधी ने महज एक मिनट में ही मंजर बदल दिया। हादसे में अब तक 14 जनों की मौत हो चुकी है व 50 लोग घायल हुए हैं।

pandal collapse in barmer

जसोल हादसे का मंजर बताते हुए छलक पड़ी कथावाचक की आंखे, कहा भागो लेकिन तब तक देर हो गई

जोधपुर. बाड़मेर के जसोल में रामकथा के दौरान जो घटना घटी उससे मैं व्यथित हूं। आज गर्मी थी। कथा शुरुआत के समय हल्की हवा शुरू हुई और थोड़ी देर में छींटे आने लगे थे। तो मैंने श्रद्धालुओं से कहा कि परमात्मा ने कृपा कि है गर्मी से राहत मिलेगी और मिट्टी भी नहीं उड़ेगी। लेकिन कुछ क्षणों में जोर से बवंडर आया तो अचानक पांडाल उडऩे लगा तो मैंने उपस्थित लोगों से अपील की वे पांडाल को तुरंत खाली कर दें मैं कथा को विराम करता हूं। मेरा इतना ही कहना था कि तब तक पांडाल पूरा ही ऊपर उठ गया। मैंने लोगों से कहा भागिए पांडाल छोड़ दीजिए, लेकिन लोग पांडाल छोडऩे की बजाए पुन: अंदर आने लगे।
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परमात्मा की कृपा की भीड़ ज्यादा नहीं

परमात्मा की कृपा ही थी कि कथा शुरू हुए, एकाध घंटा हुआ था। इसीलिए ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं थी। यही शाम को 5 बजे घटना होती तो नुकसान ज्यादा होता। शायद परमात्मा की यही इच्छा रही होगी। मानस के अनन्य भक्त जिन्हें परमात्मा ने अपने पास बुला लिया और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया। मैं कथा पांडाल में ही खड़ा सब कुछ स्तब्ध देखता रहा। जब तक एक-एक घायल को पांडाल से निकाल कर अस्पताल तक नहीं पहुंचाया मैं वही रहा।
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परिवार होता तो दुख नहीं होता

पांडाल में मेरा परिवार का होता मुझे इतना दुख नहीं होता लेकिन जो भगवान की कथा श्रवण करने आए थे, परमात्मा ने पता नहीं यह क्यूं किया। जो संसार से चले गए उनके परिवार से यह कहना चाहूंगा कि उनकी दुख की घड़ी में उनके साथ हूं। मैं और क्या कर सकता हूं। परमात्मा से प्रार्थना करता हूं दिवंगत भक्तों को अपने चरणों में स्थान दे। कथा की अनुमति के बारे में कुछ नहीं कह सकता मुझे इसका पता नहीं है। मैं तो सीधा कथा स्थल पर कथा वाचन करने ही जाता हूं। घटना के समय जिला पुलिस प्रशासन वहां मौजूद था।
( जैसा कि कथावाचक संत मुरलीधर ने पत्रिका को बताया )

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