खुशखबरी : एम्स को मिलेंगे 208 नए डॉक्टर, खुलेंगे सुपर स्पेशियेलिटी सेंटर्स मथुरादास माथुर अस्पताल के मूत्र रोग विभाग में प्रतिदिन करीब 125 मरीजों का आउटडोर है। दो महीने पहले तक आउटडोर में चालीस फीसदी मरीज पथरी के आते थे, जिनकी संख्या अब सत्तर फीसदी हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि अगर गर्मी और तेज हुई तो पथरी से ग्रसित रोगियों की संख्या में इजाफा हो सकता है। लोगों को प्रतिदिन 4 से 5 लीटर पानी पीने की सलाह दी गई है ताकि किडनी स्वस्थ रहे।
खूबसूरत दिखने की चाहत में झोलाछाप के चंगुल में फंस रहे युवा, आप रहें सर्तक! मूत्र की अम्लता बढ़ जाती है तापमान अधिक होने से हमारा शरीर तेजी से पसीना निकालता है और शरीर का तापक्रम 37 डिग्री बनाए रखता है। पसीने के साथ काफी पानी बाहर निकल आता है। शरीर में साठ फीसदी पानी है। जब कोशिका में 30 फीसदी तक पानी कम हो जाता है तो डिहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है। पानी की कमी पूरी करने के लिए हमारा शरीर मूत्र की सांद्रता बढ़ाता है यानी मूत्र में पानी कम होकर वह अधिक अम्लीय प्रकृति का हो जाता है। मूत्र गाढ़ा होने के साथ शरीर में मौजूद लवण का अवक्षेपण होने लगता है। इनके चलते ऑक्सजलेट, फॉस्फेट, यूरेट, यूरिक एसिड और अमीनो एसिड के छोटे-छोटे कण किडनी में इकठ्ठा होकर पथरी के रूप में संग्रहित हो जाते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को यूरीनरी इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है।
– 2 गिलास पानी कम कर देती है एक गिलास बीयर – 5 से छह लीटर प्रतिदिन पानी पीएं – 2.5 लीटर मूत्र प्रतिदिन करने का प्रयत्न करें – 30 से 60 मिनट बाद पानी पीएं
वीडियो : मुख्यमंत्री ने किया नर्सिंग कॉलेज का लोकार्पण, मरीजों के पूछे हाल भोजन करने के बाद हमारे शरीर में पानी – 60 फीसदी पानी होता है वयस्क में – 75 फीसदी शिशुओं का भार है पानी
– 50 फीसदी पानी ही बचता है बुजुर्गों में – 90 फीसदी पानी होता है कोशिका में – 30 फीसदी कोशिका में पानी कम होने पर डिहाइड्रेशन – 6.8 पीएच होता है मूत्र का (हल्का अम्लीय)
जोधपुर के अस्पतालों में अब स्ट्रेचर की जगह लेंगे Battery Operated Vehicles शरीर में कहां कितना पानी – 42 लीटर पानी है 70 किलो के युवा में – 28 लीटर पानी है कोशिकाओं में
– 10 लीटर पानी अंतरकोशिकाएं (लसिका द्रव्य भी शामिल) – 3 लीटर है रक्त प्लाज्मा – 1 लीटर है ट्रांससेलुलर फ्लुड (मस्तिष्क, आंख, फेफड़े)
एम्स में इस साल बढेंगे नए वार्ड और बेड अस्पताल का मूत्ररोग विभाग का ओपीडी – 125 से डेढ़ सौ मरीज का प्रतिदिन ओपीडी – 70 फीसदी मरीज पथरी के – 15 फीसदी प्रोस्टेट रोग के – 15 फीसदी मूत्र संक्रमण सहित अन्य बीमारी के
जोधपुर के इस अस्पताल में है नवजातों पर संकट, जानिए क्यूं ध्यान नहीं देंगे तो फेल हो जाएगी किडनी लोग पानी कम पी रहे हैं इसलिए पथरी जम रही है। अगर फिर भी ध्यान नहंी दिया तो किडनी फेलियर की समस्या आएगी। एेसे कुछ मरीज भी आए हैं जिनका आईसीयू में इलाज किया गया है।
डॉ. प्रदीप शर्मा, मूत्र रोग विशेषज्ञ, एमडीएम अस्पताल