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एनवक्त पर बेटे को किडनी देने से मां ने कर दिया मना, ऑपरेशन हुआ रद्द

locationजोधपुरPublished: Jun 07, 2019 11:10:40 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

जोधपुर में 6 महीने पहले हुई थी किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत, इसके बाद नहीं हुआ कोई ट्रांसप्लांट
 

kidney transplant

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गजेंद्र सिंह दहिया/जोधपुर. मां द्वारा बेटे को किडनी देकर जीवनदान के कई मामले सुने होंगे, लेकिन जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में बड़ा अजीब मामला सामने आया है। यहां एक मां ऑपरेशन से महज 4 दिन पहले बेटे को किडनी देने से मुकर गई। डॉक्टरों ने बहुत समझाइश की लेकिन मां नहीं मानी। आखिर किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन रद्द करना पड़ा। फिलहाल बेटा डायलेसिस पर है और उसे कहीं से किडनी मिलने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही।
सरहदी जैसलमेर जिले के 16 वर्षीय बालक की दोनों किडनियां खराब हैं। उसे सप्ताह में एक बार एमडीएम अस्पताल में डायलेसिस करवाना पड़ता है। डॉक्टरों के कहने पर उसकी मां एक किडनी बेटे को देने के लिए तैयार हो गई थी। अस्पताल प्रशासन ने सभी कानूनी दस्तावेज तैयार कर लिए। दोनों की ब्लड ग्रुप सहित अन्य जांचें कर ली गई। मां और बेटे जयपुर स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के समक्ष काउंसलिंग के लिए भी उपस्थित हो गए। जोधपुर में यह दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट होना था और जयपुर की टीम को ही करना था। ऑपरेशन के 4 दिन पहले मां ने एमडीएम अस्पताल प्रशासन को मना कर दिया। डॉक्टरों ने समझाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन मां नहीं मानी। आखिर जयपुर की टीम को मना करना पड़ा और ट्रांसप्लांट की तैयारी भी रद्द करनी पड़ी। मां के इस फैसले से डॉक्टर भी हैरान हैं।
6 महीने पहले पहला ट्रांसप्लांट, आज तक नहीं मिला दूसरा मरीज
जोधपुर में ठीक छह महीने पहले 6 दिसम्बर, 2018 को एमडीएम अस्पताल में पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। नागौर निवासी सद्दाम हुसैन को उसकी पत्नी ने किडनी दी। दोनों की किडनी का क्रॉस मैच हो गया था। इसके बाद एमडीएम अस्पताल में कोई दूसरा मरीज अब तक तैयार नहीं हो पाया है। नेफ्रोलॉजिस्ट ने एक अन्य मरीज तैयार किया लेकिन उसे हेपेटाइटिस सी हो गया। अब उसे तीन महीने इंतजार करना पड़ेगा। दो अन्य मरीज भी तैयार किए लेकिन वहां भी दिक्कत आ गई।
एक महीने में 600 डायलेसिस प्रोसेस

एमडीएम और गांधी अस्पताल में करीब 70 मरीज डायलेसिस के हैं। दोनों अस्पतालों में हर महीने 600 डायलेसिस प्रोसेस होते हैं। इसमें 50 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है लेकिन चिकित्सकीय जांच में विफलता व परिजनों की सहमति नहीं होने पर बात आगे नहीं बढ़ पाती। दरअसल सबसे बड़ी परेशानी मरीज के लिए किडनी डोनर नहीं मिलना है। डॉक्टरों के मुताबिक सगे रिश्तेदार और संबंधी भी अपनी किडनी देने से बचना चाहते हैं।
हमने बहुत समझाया, वह नहीं मानी
एक मां भी ऐसा कर सकती है, सोचा नहीं था। ऑपरेशन से चार दिन पहले उसने मना कर दिया, जबकि ट्रांसप्लांट की सारी तैयारी हो चुकी थी।

डॉ. मनीष चतुर्वेदी, नेफ्रोलॉजिस्ट, एमडीएम अस्पताल जोधपुर
रोगी ही नहीं आ रहे, कैसे करें ट्रांसप्लांट
छह महीने से रोगी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन रोगी ही नहीं है तो हम किसका ट्रांसप्लांट करें।

डॉ. प्रदीप शर्मा, यूरोलॉजिस्ट, एमडीएम अस्पताल जोधपुर

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