पक्षी प्रेमी सेवाराम माली बताते है कि शीतकालीन प्रवास के लिए आए शेष मेहमान परिन्दे भी अपने पड़ाव स्थल की सटीक पहचान करने के बाद संभवत: अगले एक-दो दिनों में खीचन गांव की धरा पर उतरने की संभावना है। गौरतलब है कि करीब दो सौ कुरजां के तीन जत्थे पिछले दस दिनों से खीचन गांव के ऊपर चक्कर लगा रहे हैं।
6 माह का होगा प्रवास
कुरजां प्रतिवर्ष सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में खीचन पहुंच जाती है तथा मार्च में वतन वापसी की उड़ान भरती है। इस दौरान छह माह के शीतकालीन प्रवास में ये पक्षी यहां हजारों की तादाद में एकत्रित होकर खीचन को पर्यटक स्थल का रूप दे देते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रवासी पक्षी कुरजा के आगमन के साथ ही फलोदी क्षेत्र में देसी- विदेशी पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ जाती है।