कुरजां सरंक्षण में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता रिटायर्ड हवलदार कालुसिंह भाटी ने बताया कि गुरुवार सुबह से करीब 200 की संख्या में कुरजां का जत्था गांव के ऊपर उड़ान भरते दिखा। मेहमान परिदों का यह जत्था यहां उतरने से पूर्व गांव के ऊपर कई चक्कर लगाकर अपने पड़ाव स्थल पर उतर गया। जहां वर्तमान में 500 से भी अधिक संख्या हो गई।
मार्च तक रहता है पड़ाव
दक्षिण पुर्वी यूरोप एवं अफ्रीकी भू-भाग में डेमोसाइल क्रेन के नाम से विख्यात साइबेरियन सारस कुरजां पक्षी अपने शाीतकालीन प्रवास के लिए हर वर्ष कम ज्यादा संख्या में हजारों मीलों की उड़ान भर कर 900 से एक हजार तक संख्या में क्षेत्र के कपुरिया के तालाब पर आ पहुंचते हैं। मेहमान परिदों का दिसम्बर से मार्च तक यहां प्रवास के बाद पुन: वतन वापसी को उड़ान भर जाते हैं।
दक्षिण पुर्वी यूरोप एवं अफ्रीकी भू-भाग में डेमोसाइल क्रेन के नाम से विख्यात साइबेरियन सारस कुरजां पक्षी अपने शाीतकालीन प्रवास के लिए हर वर्ष कम ज्यादा संख्या में हजारों मीलों की उड़ान भर कर 900 से एक हजार तक संख्या में क्षेत्र के कपुरिया के तालाब पर आ पहुंचते हैं। मेहमान परिदों का दिसम्बर से मार्च तक यहां प्रवास के बाद पुन: वतन वापसी को उड़ान भर जाते हैं।